۱ آذر ۱۴۰۳ |۱۹ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 21, 2024
पाक

हौज़ा/पाकिस्तान के विदेश मंत्री जलील अब्बास जीरानी ने घोषणा की है कि इस शासन के प्रति इस्लामाबाद की नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , पाकिस्तान के विदेश मंत्री जलील अब्बास जीरानी ने घोषणा की है कि इस शासन के प्रति इस्लामाबाद की नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है।

संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र में भाग लेने के लिए न्यूयॉर्क में मौजूद पाकिस्तान के विदेश मंत्री जलील अब्बास जीरानी ने इस बात पर ज़ोर दिया कि इस संबंध में कोई भी निर्णय पाकिस्तान के लोगों की इच्छा और फ़िलिस्तीनियों की आकांक्षाओं के अनुसार लिया जाएगा।

पाकिस्तान ने अवैध ज़ायोनी शासन के अधिकारियों के दावों को सिरे से ख़ारिज कर दिया। हालांकि अमरीकी दबाव के प्रभाव में कुछ अरब देशों ने ज़ायोनी शासन के साथ संबंधों को सामान्य बनाने वाला समझौता कर लिया है, लेकिन इसका मतलब क्षेत्र की जनता और मुसलमानों द्वारा इस शासन को स्वीकार करना नहीं है।

राजनीतिक मामलों के विशेषज्ञ मतीन हैदर का इस संदर्भ में कहना हैः सच्चाई यह है कि ज़ायोनी शासन, इस तरह के झूठे प्रचार और प्रोपैगंडे से अपने अलगाव को दूर करना चाहता है। इसके अलावा, संबंधों के सामान्यकरण की योजना के लिए भी गंभीर प्रयास जारी है। लेकिन ज़ायोनी शासन के भविष्य का निर्धारण, कुछ सरकारों के फ़ैसले से नहीं, बल्कि इस क्षेत्र की जनता की इच्छानुसार होगा।

इसलिए, ज़ायोनी शासन क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय नीतियों को आगे बढ़ाने के लिए कितना भी प्रचार और प्रसार करे, वह कूटनीति में ख़ुद को कितना भी सफल दिखाने की कोशिश करे, लेकिन उसे अच्छी तरह से पता है कि महत्वपूर्ण इस्लामी देशों को इस अवैध शासन के साथ संबंधों की स्थापना की न केवल कोई इच्छा नहीं है, बल्कि वे इस संबंध में बात तक नहीं करना चाहते हैं।

महत्वपूर्ण इस्लामी देशों की जनता, फ़िलिस्तीनियों के मौलिक अधिकारों की धज्जियां उड़ाने वाले और उन पर बेइंतहा ज़ुल्म ढाने वालों को न कभी भूली है और न ही भूलेगी। इसकी सिर्फ़ एक ही मांग है कि फ़िलिस्तीन पर ज़ायोनी क़ब्ज़ा समाप्त होना चाहिए।

पाकिस्तान के मामलों के एक विशेषज्ञ मुर्तज़ा हुसैन का कहना हैः पाकिस्तान उन महत्वपूर्ण मुस्लिम देशों में से एक है, जिनका व्यवहार इस्राईल के लिए बहुत महत्व रखता है। इसी वजह से इस्राईली अधिकारी ज़ायोनी शासन को अलगाव से बाहर निकालने के लिए प्रोपैगंडा कर रहे हैं, ताकि कुछ अन्य मुस्लिम देशों को सामान्यकरण के लिए प्रेरित करें। क्योंकि छोटे देशों के साथ संबंधों को सामान्य बनाने से उसे कोई ख़ास लाभ नहीं पहुंच रहा है।

बहरहाल, इस शासन और पाकिस्तान के अधिकारियों के बीच बैठक के संबंध में ज़ायोनी शासन का दावा दर्शाता है कि यह शासन अलगाव से बाहर निकलने का रास्ता तलाश कर रहा है। इस बीच, अधिक आबादी और महत्वपूर्ण इस्लामी देशों में से एक के रूप में इस्लामाबाद की स्थिति ज़ायोनी शासन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

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