۱۵ تیر ۱۴۰۳ |۲۸ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 5, 2024
बहरैन

हौज़ा / कब्जे वाली ज़ायोनी सरकार के साथ संबंध स्थापित करने के लिए बहरैन पर थोपी गई आले-खलीफ़ा की कोशिशों ने फ़िलिस्तीनियों के ज़ख्मों पर नमक छिड़कते हुए बहरैन के लोगों को भड़का दिया है, जिसे बहरैन में इसराइली राष्ट्रपति इसहाक हत्ज़ोग के आगमन पर अच्छी तरह से देखा जा सकता है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, बहरैन के लोगों ने इजरायली सरकार के राष्ट्रपति "इशहाक हत्जोग" के मनामा दौरे पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और कड़ा विरोध जताया है।

विवरण के अनुसार, बहरैन के विभिन्न क्षेत्रों में प्रदर्शनकारियों ने अत्याचारी ज़ायोनी सरकार के प्रमुख की अपने देश की यात्रा का विरोध किया और आले-खलीफ़ा द्वारा इज़राइल के साथ संबंधों के सामान्यीकरण की कड़ी निंदा की।

रिपोर्ट के मुताबिक बहरैन के विपक्षी गुटों के संयुक्त बयान में कहा गया है कि हम कब्जाधारी सरकार के मुखिया के जघन्य दौरे की कड़ी निंदा करते हैं। इस यात्रा ने अरब मुस्लिम लोगों, ईसाइयों और दुनिया के सभी आज़ाद लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है और फ़िलिस्तीनियों के प्रति आले-ख़लीफ़ा सरकार का विश्वासघात भी सामने आया है।

गौरतलब है कि बहरैन के शिया नेता आयतुल्लाह शेख ईसा कासिम ने भी अपने ट्विटर पेज पर लिखा था कि हड़पने वाली ज़ायोनी सरकार के प्रमुख की बहरैन यात्रा; मनामा सरकार के लिए अपमान और शर्मिंदगी की बात है।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ज़ायोनी सरकार से समझौता करना देशद्रोह है और ज़ायोनी सरकार के मुखिया की जघन्य कार्रवाइयों से बहरैन की धरती को प्रदूषित करना एक ऐसा अपमान है जिसे हमारी जनता बर्दाश्त नहीं करेगी।

यह याद रखना चाहिए कि फ़िलिस्तीन पर अवैध क़ब्ज़ा करने वाली और बच्चों को मारने वाली ज़ायोनी सरकार अमेरिकी अहंकार की छत्रछाया में अरब देशों के कठपुतली शासकों के साथ संबंध सामान्य करने की कोशिश कर रही है, लेकिन उत्पीड़ित फ़िलिस्तीनी और मुस्लिम देशों के लोगों को जलन हो रही है। अरब शेखों के लालच में किए गए इस शर्मनाक और कायराना समझौते को फिलीस्तीनियों के साथ विश्वासघात कहकर खारिज कर दिया है।

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