۳۰ اردیبهشت ۱۴۰۳ |۱۱ ذیقعدهٔ ۱۴۴۵ | May 19, 2024
मजलिस

हौज़ा/अलजवाद फ़ाउंडेशन की ओर से खिताब फरमाते हुए मौलाना सैय्यद सिब्ते हैदर जैदी मुकी़म हाल मशहद ने खिताब किया मौलाना ने हज़रत फ़ातिमा ज़हरा की हयात पर रौशनी डालते हुए कहा कि हज़रत ज़हरा की हयात पाक तमाम मज़हिब की औरतों के लिए हिदायत है अगर वह अपनी ज़िन्दगी में अपना लें तो रोज़ना की ज़िन्दगी और घर के काम बच्चों की तरबियत और शौहरदारी के लिए बेहतरीन नमूना ऐ अमल हों सकती है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,अलजवाद फ़ाउंडेशन की ओर से खिताब फरमाते हुए मौलाना सैय्यद सिब्ते हैदर जैदी मुकी़म हाल मशहद ने खिताब किया मौलाना ने हज़रत फ़ातिमा ज़हरा की हयात पर रौशनी डालते हुए कहा कि हज़रत ज़हरा की हयात पाक तमाम मज़हिब की औरतों के लिए हिदायत है अगर वह अपनी ज़िन्दगी में अपना लें तो रोज़ना की ज़िन्दगी और घर के काम बच्चों की तरबियत और शौहरदारी के लिए बेहतरीन नमूना ऐ अमल हों सकती है।

क्योंकि हज़रत ज़हरा की ज़िन्दगी के हर पहलू में हिदायत ही हिदायत मिलती है आख़िर में मौलाना ने मसाऐब हज़रत ज़हरा को बयान किया जिसको सुनकर अज़दार ज़ारो क़तार रोते हुए या ज़हरा या ज़हरा या मज़लूमा की सदाऐं बुलन्द करने लगे मजलिस में हज़ारों की संख्या में मोमनीन मौजूद थे।

मजलिस के बाद जूलूस अज़ाऐ फ़ातमी निकल कर ऱौज़ ऐ फ़ातमैन गया जिसमें शहर की काफ़ी तेदाद में अंजुमनो ने शिरकत कर के शहज़ादी कौनेन का पुरसा मासूमीन की बारगाह में पेश किया जूलूस फ़ातमी का सिलसिला देर रात तक चलता रहा जिसमें आख़िरी तक़रीर मौलाना अम्मार जरवली साहब ने मसाऐब के साथ बयान किया।

लखनऊ शहर के मुख़तलिफ़ जगहों पर मजालिस का सिलसिला जारी रहा। इस सिलसिले की दूसरी मजलिस बारगाहे सानिये ज़हरा पुराना तोपखाना बालागंज में हुई इस मजलिस को मुज़फ्फर नगर से आये मौलाना सय्यद अतहर अब्बास ज़ैदी ने ख़िताब किया।

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