۳ آذر ۱۴۰۳ |۲۱ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 23, 2024
मौलाना

हौज़ा/मौलाना सैय्यद मोहम्मद आबिद रिज़वी फतेहपुरी ने मजलिस खिताब करते हुए कहा कि इस्लाम को बचाने में अहलेबैत का बहुत बड़ा योगदान है उन्होंने अपने परिवार वालों को शहीद करके इस्लाम और इंसानियत को बचाया हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,जौनपुर,नगर के मुफ्तीहाउस में रविवार की सुबह समाजसेवी मोहम्मद खुर्शीद की अहलिया सैय्यद अज़मत ज़हेरा के चालीसवें की मजलिस को खेताब करने आये मौलाना सैयद मोहम्मद आबिद रिज़वी फतेहपुरी ने कहा कि इस्लाम को बचाने में अहलेबैत का बहुत बड़ा योगदान है।

जिस तरह से हज़रत मोहम्मद स.अ.व. के दुनिया से जाने के बाद उनके दामाद, बेटी व उनके नवासों के साथ ज़ुल्म व ज्यादती की गई उसे पूरी दुनिया ने देखा। यही वजह थी कि कर्बला के मैदान में हज़रत इमाम हुसैन अ.स. ने अपने नाना के दीन को बचाने के लिए न सिर्फ मक्का मदीना छोड़ा बल्कि छह माह के बच्चे से लेकर जवान बेटों की शहादत देने में ज़रा भी देर नहीं की।

मौलाना सैयद मोहम्मद आबिद रिजवी ने कहा कि रसूले खुदा की बेटी जनाबे फातम जहरा स.अ. के घरों को आग लगाने में इन लोगों के हाथ नहीं कापें यहां तक कि जलते हुए दरवाजे को धक्का देकर फातमा ज़हरा पर गिराया गया जिससे उनके गर्भ में पल रहे बच्चे की जान चली गई।

इस हादसे में उनकी पसलियां भी टूट गई थी पर वह इस दर्द को भी भूल गई। उन्होंने अपने पति हज़रत अली से इसकी शिकायत भी नहीं की। बल्कि उन्हें उनकी चिंता थी। जिन्हें हुकूमत के लोग गिरफ्तार करके ले गये थे।

आखिरकार हुकूमत को उन्हें छोड़ना पड़ा ऐसे किरदार जनाबे फातमा की जिंदगी का है जिन्होंने अपनी फिक्र नहीं की बल्कि पूरी इंसानियत व इस्लाम को बचाने के लिए परिवार को हमेशा कुर्बानी देने के लिए तैयार रहने की हिदायत दी।

इससे पूर्व सोजखानी सैयद गौहर अली जै़दी व उनके हमनवां ने किया। पेशखानी आबाद, शहयार जौनपुरी व जैन मिर्जापुरी ने किया। अंजुमन अजादारिया कदीम बारादुअरिया ने नौहा खानी व सीनाजनी कर कर्बला के शहीदों को पुर्सा दिया। इस मौके पर मो.जाफर, मो.अब्बास, नजमुल हसन नजमी, सैयद तनवीर हसन,

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