۱۱ تیر ۱۴۰۳ |۲۴ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 1, 2024
امام

हौज़ा/आप रसूल के बेटे क़ुर्आन का प्रमाण हैं यानी जो कुछ क़ुर्आन में शब्दों की शक्ल में मौजूद है वह सब आप के जीवन में दिखाई देता है, इस्लाम की शक्ति इमामत होती है, आप ने इमाम हुसैन अ.स. को इस्लाम की शक्ति इसी लिए कहा क्योंकि इस्लाम पर सब से बुरा समय आप के दौर में पड़ा और आपने भी इस्लाम के हाथ बनते हुए उसकी ऐसी रक्षा की कि अब क़यामत तक कोई बुरी निगाह डालने की हिम्मत भी नहीं कर सकता।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत इमाम मेंहदी अ.स. ने इमाम हुसैन अ.स. के जीवन पर रौशनी डालते हुए इस प्रकार फ़रमाया, आप रसूल के बेटे, क़ुर्आन के लिए प्रमाण और उम्मत की शक्ति थे, आप अल्लाह के अहकाम का पूरी तरह पालन करते और उसके द्वारा लिए गए वादों को पूरा करने में पूरी सतर्कता बरतते थे,आप पापियों और पाखंडों को देख उदास होते थे, आप देर तक रुकूअ और सजदे अंजाम देते, आप दुनिया के सब से सबसे मुत्तक़ी और परहेज़गार इंसान थे। (बिहारुल अनवार, जिल्द 101, पेज 239)

अगर इमाम महदी अ.स. द्वारा इमाम हुसैन अ.स. की इस व्याख्या पर ध्यान दिया जाए तो इमाम हुसैन अ.स. की कई विशेषताएं सामने आती हैं, जैसे आप रसूल के बेटे, क़ुर्आन का प्रमाण हैं यानी जो कुछ क़ुर्आन में शब्दों की शक्ल में मौजूद है वह सब आप के जीवन में दिखाई देता है, इस्लाम की शक्ति इमामत होती है, आप ने इमाम हुसैन अ.स. को इस्लाम की शक्ति इसी लिए कहा क्योंकि इस्लाम पर सब से बुरा समय आप के दौर में पड़ा और आपने भी इस्लाम के हाथ बनते हुए उसकी ऐसी रक्षा की कि अब क़यामत तक कोई बुरी निगाह डालने की हिम्मत भी नहीं कर सकता, और इसी प्रकार जब आप इबादत के लिए खड़े होते तो अपने समय के सबसे बड़े आबिद कहलाते थे।

अगर देखा जाए तो हम केवल इमाम हुसैन अ.स. के जीवन को केवल कर्बला माध्यम से जानते हैं कि आप ने अत्यचार और अन्याय के विरुध्द आंदोलन किया, यह स्पष्ट है कि आप के जीवन का सब से बड़ी उप्लब्धि यही है लेकिन केवल यही नहीं है, इमाम हुसैन अ.स की इबादत जिसकी ओर इमाम महदी अ.स. ने इशारा किया है, और ख़ास कर दुआए अरफ़ा में जिस प्रकार आप ने अल्लाह से दुआ की है उस से आप का अल्लाह से संबंध कितना गहरा था पता चल जाता है।

अबू हमज़ा सूमाली का बयान है कि एक बार मैंने इमाम बाक़िर से कहा, ऐ पैग़म्बर के बेटे क्या आप लोग क़ाएम नहीं हैं? और हक़ को क़ाएम करने वाले नहीं हैं?फिर केवल इमाम महदी अ.स. को ही क़ाएम क्यों कहा जाता है?

इमाम ने फ़रमाया, जिस समय इमाम हुसैन अ.स. शहीद हुए, फ़रिश्तों के बीच कोहराम मच गया, उन्होंने कहा, ख़ुदाया क्या तू अपने सब से प्यारे और चहीते बंदों के क़त्ल करने वालों को बिना सज़ा दिये छोड़ देगा?

अल्लाह ने अपने सम्मान और प्रतिष्ठा की क़सम खाते हुए उन से फ़रमाया, ऐ फ़रिश्तों, उनसे बदला ज़रूर लूँगा चाहे कुछ समय बाद ही क्यों न हो, फिर अल्लाह ने उनके सामने से पर्दा हटाते हुए इमाम हुसैन अ.स. की नस्ल से आने वाले सभी इमामों के नूर को पहचनवाया, फ़रिश्ते यह देख कर ख़ुश हो गए, फिर देखा उन में से एक नूर क़याम की हालत में अल्लाह की इबादत में व्यस्त है, अल्लाह ने फ़रमाया, यह क़ाएम है जो हुसैन के क़त्ल करने वालों से बदला लेगा। (दलाएलुल-इमामत, तबरी, पेज 239)

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