हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,माहे रमज़ान के पवित्र महीने में कुछ विशेष क्षण होते हैं। इन विशेष क्षणों में सबसे सुंदर क्षण सहर अर्थात भोर के समय के होते हैं। बड़े खेद के साथ कहना पड़ता है कि वर्तमान जीवन शैली तथा शारीरिक एवं मानसिक थकान ने अधिकांश लोगों को भोर के समय में उठने से वंचित कर रखा है।
माहे रमज़ान के पवित्र महीने में हमें यह सुअवसर प्राप्त होता है कि भोर समय उठने के आनन्द तथा उसके लाभ का हम आभास कर सकें। दिन भर के 24 घण्टों में भोर का समय ही सबसे अच्छा समय होता है।
माहे रमज़ान के पवित्र महीने में कुछ विशेष क्षण होते हैं। इन विशेष क्षणों में सबसे सुंदर क्षण सहर अर्थात भोर के समय के होते हैं। बड़े खेद के साथ कहना पड़ता है कि वर्तमान जीवन शैली तथा शारीरिक एवं मानसिक थकान ने अधिकांश लोगों को भोर के समय में उठने से वंचित कर रखा है।
माहे रमज़ान के पवित्र महीने में हमें यह सुअवसर प्राप्त होता है कि भोर समय उठने के आनन्द तथा उसके लाभ का हम आभास कर सकें। दिन भर के 24 घण्टों में भोर का समय ही सबसे अच्छा समय होता है इस समय का महत्व इतना अधिक है कि ईश्वर ने पवित्र क़ुरआन की आयतों में इसकी सौगंध खाई है ताकि लोग भोर के बारे में अधिक विचार करें।
इस्लाम के बड़े-बड़े महापुरूषों तथा विद्धानों के जीवन पर यदि एक दृष्टि डाली जाए तो हमें ज्ञात होगा कि वे सब ही भोर समय उठा करते थे। वे लोग इस समय ईश्वर की उपासना, चिंतन तथा ज्ञानार्जन में व्यस्त रहा करते थे। भोर समय की प्रार्थना या उपासना मनुष्य के मन तथा आत्मा पर गहरा प्रभाव डालती है। पैग़म्बरे इस्लाम का कथन है कि दुआ के लिए बेहतरीन समय भोर समय है।
भोर समय की अनुकंपाओं के संबन्ध में इमाम जाफ़रे सादिक़ अलैहिस्सलाम का कथन है कि ईश्वर अपने मोमिन बंदों में से उस बंदे से अधिक प्रेम करता है जो अधिक दुआ करता है। इसीलिए भोर समय से सूर्योदय तक प्रार्थना किया करो क्योंकि उस समय आकाशों के द्वार खुल जाते हैं, लोगों की रोज़ी बांटी जाती है और बड़ी-बड़ी दुआएं स्वीकार की जाती हैं।
भोर में उठने से आत्मा को आनन्द एवं शान्ति प्राप्त होती है। लगभग सभी धर्मों में भोर समय उठकर उपासना करने के आदेश मिलते हैं। इस्लामी शिक्षाओं में यह भी आया है कि भोर में उठने से आजिविका में वृद्धि होती है।
पैग़म्बरे इस्लाम का इस संबन्ध में कथन है कि प्रातःकाल मे अपनी रोज़ी प्राप्त करने के लिए घर से निकल जाओ क्योंकि भोर में उठना विभूतियों की प्राप्ति का कारण बनता है। माहे रमज़ान का पवित्र महीना आत्मनिर्णाण का महीना है। महापुरुषों का कहना है कि आत्मनिर्माण में भोर समय उठने की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है।
विश्व में जिन लोगों ने कोई विशेष स्थान प्राप्त किया है उनके जीवन का अध्धयन करने से ज्ञात होता है कि वे प्रातः उठा करते थे। अरबी भाषा में भी एक कथन है जिसका अर्थ यह है कि जो भी सफलता की कामना करता है उसे भोर समय उठना चाहिए।
भोर समय उठने से केवल आत्मा को ही लाभ नहीं मिलता बल्कि शरीर को भी इसका लाभ प्राप्त होता है। भोर समय उठने वाला व्यक्ति शारीरिक दृष्टि से स्वस्थय रहता है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि भोर समय उठना मनुष्य के लिए हर दृष्टि से लाभकारी है अतः हमें इसे अपनाना चाहिए।