۲ آذر ۱۴۰۳ |۲۰ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 22, 2024
تصاویر/ محفل انس با قرآن کریم با حضور استاد «حاج حامد شاکرنژاد» در ارومیه

हौज़ा/ हज़रत इमाम मोहम्मद बाकिर अलैहिस्सलाम ने फरमाया ,हर चीज़ की कोई एक बहार होती है और क़ुरआने करीम की बहार माहे रमज़ान है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,यह वह महीना है जिसमें हम रोज़ा, इबादत, मुनाजात, दुआ और आध्यात्मिक तैयारी के माध्यम से क़ुरआन की इलाही तालीमात का इस्तक़बाल करते हैं, और हमारा मक़सद होता है कि हम रौज़े, नमाज़ , इबादत, दुआ और मुनाजात के ज़रिये क़ुरआन से अपने रिश्ते को और मज़बूत कर लें।

रमज़ान का महीना पवित्र क़ुरआन की बहार का महीना है। इस महीने में क़ुरान से ख़ास फैज़ हासिल किया जा सकता है क्यों कि रमज़ान का महीना कुरान के नाज़िल होने का महीना है। इस महीने में कुरान से परिचित होते हुए तिलावत के अलावा कुरान की आयतों की गहराई पर भी गौर करना चाहिए।

रमज़ान का महीना क़ुरआने करीम की बहार है:

रमज़ान का पाकीज़ा महीना क़ुरआने करीम की बहार है और क़ुरआने करीम से उन्स और उल्फत पैदा करने का महीना है। यह वह महीना है जिसमें इंसान क़ुरआने पाक के ज़रिये मानसिक और व्यावहारिक रूप से अपने आप को संवार सकता है। यह वह महीना है जिसमें अल्लाह के नबी के मुबारक दिल पर शबे क़द्र में पूरा नाज़िल हुआ।

यह वह महीना है जिसमें हम रौज़ा, इबादत, मुनाजात, दुआ और आध्यात्मिक तैयारी के माध्यम से क़ुरआन की इलाही तालीमात का इस्तक़बाल करते हैं, और हमारा मक़सद होता है कि हम रौज़े, नमाज़ , इबादत, दुआ और मुनाजात के ज़रिये क़ुरआन से अपने रिश्ते को और मज़बूत कर लें। क़ुरआने करीम माहे मुबारके रमज़ान की आत्मा है जिसने इस महीने की अज़मत और महानता को बढ़ा दिया है।

क़ुरआने करीम दिलों की बहार है और क़ुरआन की बहार माहे रमज़ान है। जैसा कि इमाम बाक़िर अ.स.  इरशाद फरमाते हैं: لِكُلِّ شي‏ءٍ رَبيعٌ و رَبيعُ القُرآنِ شَهرُ رَمَضان،

हर चीज़ की कोई एक बहार होती है और क़ुरआने करीम की बहार माहे रमज़ान है।

उसूले काफी जिल्द 2 पेज 10

इमाम अली अ.स. फरमाते हैं:   تَفَقَّهُوا فِيهِ فَاِنَّهُ رَبيعُ الْقُلوبِ क़ुरआन में ग़ौर करो क्योंकि क़ुरआन दिलों की बहार है।

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