बुधवार 20 मार्च 2024 - 07:01
मुर्तद के अविश्वास का बढ़ना ही उसकी तौबा क़ुबूल न होने का कारण है

हौज़ा | जो लोग तौबा करके फिर कुफ़्र की ओर लौटेंगे, उनकी तौबा क़ुबूल नहीं होगी। जो लोग धर्मत्यागी अविश्वास में बने रहते हैं उन्हें कभी भी पश्चाताप करने का अवसर नहीं मिलेगा।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी

بسم الله الرحـــمن الرحــــیم  बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
إِنَّ الَّذِينَ كَفَرُوا بَعْدَ إِيمَانِهِمْ ثُمَّ ازْدَادُوا كُفْرًا لَّن تُقْبَلَ تَوْبَتُهُمْ وَأُولَٰئِكَ هُمُ الضَّالُّونَ  इन्नल लज़ीना कफ़रू बादा ईमानेहिम सुम्मज़ दादू कुफरल लन तुक़बला तौबतोहुम व उलाएका होमुज़ ज़ाल्लून (आले- इमरान, 90)

अनुवाद: बेशक (निसंदेह) जो लोग ईमान लाने के बाद काफ़िर हो गए और कुफ़्र में बढ़ते गए, उनकी तौबा क़ुबूल न होगी और यही असली गुमराह लोग हैं।

क़ुरआन की तफसीर:

1️⃣ मुर्तद के अविश्वास का बढ़ना ही उसकी तौबा क़ुबूल न होने का कारण है।
2️⃣ धर्मत्याग और अविश्वास पर रहने से अल्लाह ताला के मार्गदर्शन से वंचित होना पड़ता है।
3️⃣ जो लोग तौबा करके फिर कुफ़्र की ओर लौटेंगे, उनकी तौबा क़ुबूल नहीं होगी।
4️⃣ जो लोग अविश्वास पर कायम रहते हैं वे कभी भी पश्चाताप नहीं कर पाएंगे।


•┈┈•┈┈•⊰✿✿⊱•┈┈•┈┈•
तफ़सीर राहनुमा, सूर ए आले-इमरान

टैग्स

आपकी टिप्पणी

You are replying to: .
captcha