۱۰ مهر ۱۴۰۳ |۲۷ ربیع‌الاول ۱۴۴۶ | Oct 1, 2024
इत्रे क़ुरआन

हौज़ा | हज़रत इब्राहिम (अ) कभी भी बहुदेववादी नहीं थे। पवित्र पैगम्बर (स) के समय के यहूदी बहुदेववाद मे विश्वास रखते थे।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी

بسم الله الرحـــمن الرحــــیم   बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
قُلْ صَدَقَ اللَّهُ ۗ فَاتَّبِعُوا مِلَّةَ إِبْرَاهِيمَ حَنِيفًا وَمَا كَانَ مِنَ الْمُشْرِكِينَ   क़ुल सदकल्लाहो फ़त्तबेऊ मिल्लता इब्राहीमा हनीफ़ा वमा काना मेनल मुशरेकीन (आले-इमरान, 95)

अनुवाद: हे रसूल (स) कह दो, अल्लाह ने सच कहा है! तो इब्राहीम की क़ौम (धर्म) का अनुसरण करो, जो झूठ से दूर हो गया और केवल अल्लाह के लिए था और मुश्रिकों में से नहीं था।

क़ुरआन की तफसीर:

1️⃣ अल्लाह ताला लोगों को हज़रत इब्राहीम (अ) की शरीयत पर चलने की दावत देता है।
2️⃣ इस्लाम इब्राहीम का धर्म है।
3️⃣ हज़रत इब्राहीम (अ) के धर्म में सभी खाद्य पदार्थ हलाल थे।
4️⃣ हज़रत इब्राहीम (अ) हर तरह के विचलन और ग़लती से दूर थे और सही रास्ते पर थे।
5️⃣ हज़रत इब्राहीम (अ) कभी बहुदेववादी नहीं थे।
6️⃣ पवित्र पैगंबर (स) के समय के यहूदी बहुदेववादी विश्वास रखते थे।


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तफ़सीर राहनुमा, सूर ए आले-इमरान

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