हौज़ा न्यूज़ एजेंसी
بسم الله الرحـــمن الرحــــیم बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
إِنَّ الدِّينَ عِندَ اللَّـهِ الْإِسْلَامُ ۗ وَمَا اخْتَلَفَ الَّذِينَ أُوتُوا الْكِتَابَ إِلَّا مِن بَعْدِ مَا جَاءَهُمُ الْعِلْمُ بَغْيًا بَيْنَهُمْ ۗ وَمَن يَكْفُرْ بِآيَاتِ اللَّـهِ فَإِنَّ اللَّـهَ سَرِيعُ الْحِسَابِ इन्नद दीना इंदल लाहिल इस्लाम वमा इखतलफ़ल लज़ीना ऊतूल किताबा इल्ला मिन बादे मा जाआहुमुल इल्मो बगयन बैनहुम वमन यकफ़ुर बेआयातिल्लाहे फ़इन्नल्लाहा सरीउल हिसाब । (आले-इमरान, 19)
अनुवाद: वास्तव में, ईश्वर की दृष्टि में सच्चा धर्म केवल इस्लाम है, और किताब वाले (सच्चाई के धर्म में) तब तक भिन्न नहीं हुए जब तक कि उनके पास ज्ञान नहीं आ गया (और वास्तविक सच्चाई ज्ञात हो गई)। केवल आपसी उपद्रव और हठ और अन्यायपूर्ण प्रयत्न के कारण, और जो कोई ईश्वर की आयतों का इन्कार करेगा, निःसंदेह ईश्वर शीघ्र ही उसका हिसाब लेगा।
क़ुरआन की तफसीरः
1️⃣ अल्लाह तआला के एकेश्वरवाद, शक्ति और बुद्धि का तकाज़ा यह है कि मनुष्य को केवल उसके सामने झुकना चाहिए।
2️⃣ धर्म की वास्तविकता और भावना स्वयं को ईश्वर के समक्ष समर्पित कर देना है।
3️⃣ धार्मिक मतभेद का स्रोत ईर्ष्यालु और मुताजाविज विद्वान हैं।
4️⃣ विद्वानों के झगड़े के कारणों में ईर्ष्या और नैतिक दोष भी शामिल हैं।
5️⃣ बौद्धिक, सामाजिक और धार्मिक मतभेदों का निर्माण ईश्वरीय धर्मों के न्यायसंगत नियमों के उल्लंघन का परिणाम है।
6️⃣ श्रद्धा और दिल से विश्वास के साथ सिर झुकाना सर्वशक्तिमान ईश्वर को स्वीकार्य धर्म है।
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तफ़सीर राहनुमा, सूर ए आले-इमरान