हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के सनंदज के रिपोर्टर के अनुसार,अहले सुन्नत के सोशल अकाउंट पर सय्यद अलाउद्दीन हैदरी ने लिखा हैः
दुनिया की दमनकारी सरकार ने हमारे प्रिय देश इस्लामी गणराज्य ईरान पर अतिक्रमण ने हम सबके दिलो को दुखी और घायल कर दिया। इस घाव का इलाज इस गंद और खूनखार का विनाश है।
इस्लामी ईरान, उन बहादुरो की मातृभूमि है जिनको इतिहास ने साबित कर दिया है कि वह कभी भी अपमान स्वीकार नही करेंगे।
लेकिन क्यो ईरान को ज़ायोनी सरकार और उसके पाखंडी सहयोगीयो की दुशमनी का सामना है?
इसके कुछ स्पष्ठ तर्क हैः
1- ईरान इस्तिक़लाल और ताक़त के साथ अपने पैरो पर खड़ा है और इस दौरान ऐसी सफलताए मिली है कि जिन्हे अंदेखा नही किया जा सकता, अतः यह इस्लाम के अज़ली दुशमनो के लिए असहनीय है।
2- इस्लामी देशो मे एक आज़ाद और खुदमुख़्तार देश का अस्तित्व इजरायल और अमेरिका के लिए नगवार है और यह निश्चित रूप से उनके मध्य एशिया की हिकमत अमली के खिलाफ़ है।
3- इस्लामी जगत मे ज़ायोनी शासन के मुकाबिल मे प्रतिरोध की धुरी है और निश्चित रूप से इस्लामी उम्मत ने ईरान को रोल मॉडल बनाया है और रोल मॉडल बनाती रहेगी और यह गासिब ज़ायोनी शासन के विनाश का आरम्भिक बिंदु है जिस से वह भयभीत है।
4-ईरान के पास हज़रत आयतुल्लाह ख़ामेनेई जैसा शक्तिशाली और बा बसीरत नेता है कि दुनिया ए कुफ्र अपने आप को उनकी नेतृत्व और असर व रसूख़ के मुकाबले मे कमज़ोर महसूस करता है।
वह नेता जिसके सम्मान का इस्लामी जगत कायल है और आप मुस्लिम उम्मत की ऐकता को केद्र करार दे कर एक शक्तिशाली इज्तेमाअ को इस्लामी उम्मत के समर्थन, ज़ायोनी सरकार और जालिम दुनिया की धुरी के खिलाफ जिद्दो जहद पर आमादा करने मे कामयाब हुए और यह खुद दुशमनो के लिए भारी और दर्दनाक है ।
ईरान अर्थात हम सब, ईरान अर्थात मज़हब व ज़बान व राष्ट्र से ऊपर, अर्थात ईरान की पूरी भूमि
आज वही दिन है कि जिसकी प्रतीक्षा थी, क्योकि दुशमन सालो से इसी की तलाश मे था।
युद्द है, इस युद्ध मे दुनिया ए ज़ुल्म व कुफ्र ने ईरान को शिकस्त देने के लिए कमर कस ली है, क्योकि दुशमन को पूरी उम्मीद है कि ईरान शिकस्त स्वीकार करेगा और गौरव व सम्मान और इस्लामी दुनिया के इक्तेदार का नाम व निशान नही रहेगा।
ज़ालिम और सफ़्फ़ाक ईरान के इस्लामी दुनिया के गौरव के किले की शनाख्त का समाप्त करने की दरपय है।
दुशमन ईरान को केवल एक शिया देश होने से नही, बल्कि इस्लामी दुनिया और इस्लामी उम्मत की धुरी और ताक़त के शीर्षक से देखते है।
आज दुश्मन, ईरान मे चाहे शिया हो या सुन्नी इस्लाम को शिकस्त देने की कगार पर है। हमारी एकजुटता और ऐकता की दीवार को तोड़ने की कगार पर है।
लेकिन !!!
यह सब एक सपना है, एक ऐसा सपना है कि जो जैसे तेल अबीब के नजिस सूअर, वाशिंगटन के वहशी जिन और यूरोप के बुजदिल बेड़िये देख रहे है कि जो खुदा की अनुमति से कभी भी पूरा नही होगा।
आज अहले सुन्नत देश प्रेम और नसली तअस्सुब से ऊपर उठकर इस आब व खाक, इस्लामी प्रणाली और ऐकता के ध्वजधारक सुप्रीम लीडर के साथ वफ़ादार है, फ़िलिस्तीन के अहले सुन्नत के समर्थन और एक शफ़ीक़ बाप की भांति क़ुरबानी देने पर दुनिया के सभी अहले सुन्नत अपने आपको इस्लामी गणराज्य ईरान और सुप्रीम लीडर का मक़रूज़ जानते है।
अहले सुन्नत वफ़ादारी के साथ ईरान के हरीम की रक्षा मे प्राण देंगे। अहले सुन्नत आठ वर्षीय थोपी जंग मे 13000 शहीद इस मातृभूमि पर क़ुरबान कर दिए है।
हम अहले सुन्नत, इस मातृभूमि और इस प्रणाली और सुप्रीम लीडर के साथ खड़े है और कभी भी किसी दुशमन को जुल्म व तजावुज़ की अनुमति नही दी है और न कभी अनुमति देंगे।
ईरान के सभी अहले सुन्नत इस्लामी गणराज्य ईरान के महान राष्ट्र के एक भाग के हिसाब अपने मातृभूमि और इस्लामी क्रांति की रक्षा के लिए इस भूमि के रक्षको के साथ है और रहेंगे।
इंशाल्लाह, हक़ की बातिल पर जीत निश्चित है सफ़्फ़ाक ज़ायोनी सरकार का विनाश, इस्लामी ईरान के शक्तिशाली हाथो से होगी।
इस विजय का रहस्य, ऐकता की रक्षा और भाई चारे की मजबूती और एक दूसरे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर रहने मे छुपी है और हम सब एक पैकर की तरह ज़र्रा बराबर सुस्ती का मुज़ाहेरा ना करें।
आज हमारा बुनयादी दुश्मन सुस्ती और कमज़ोरी है और दुशमन हमारे राष्ट्र के उत्साह को समाप्त करने की कगार पर है, अतः हम सब पर वाजिब है कि साहस की मजबूती के लिए प्रयास करें।
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