۳۱ اردیبهشت ۱۴۰۳ |۱۲ ذیقعدهٔ ۱۴۴۵ | May 20, 2024
इत्रे क़ुरआन

हौज़ा | विश्वासियों को निराशा मिलने के कारण उन्हें फटकारना। पवित्र पैगंबर (स) द्वारा बद्र और ओहोद के योद्धाओं का प्रोत्साहन।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी

بسم الله الرحـــمن الرحــــیم    बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
‏إِذْ تَقُولُ لِلْمُؤْمِنِينَ أَلَن يَكْفِيَكُمْ أَن يُمِدَّكُمْ رَبُّكُم بِثَلَاثَةِ آلَافٍ مِّنَ الْمَلَائِكَةِ مُنزَلِينَ   इज़ तक़ूलू लिलमोमेनीना अलन यकफ़ीकुम अन योमिद्दकुम रब्बोकुम बेसलासते आलाफ़िम मेनल मलाएकते मुनज़लीन (आले-इमरान, 124)

अनुवाद: हे पैगंबर (स) याद रखें. जब तुम ईमानवालों से कह रहे थे, तो क्या यह तुम्हारे लिये काफ़ी नहीं? तुम्हारा रब तुम्हारी मदद उन तीन हज़ार फ़रिश्तों से करे जो (स्वर्ग से) उतारे गए हैं।

क़ुरआन की तफसीर:

1️⃣ अल्लाह तआला ने बद्र के सैनिकों की सहायता के लिए तीन हजार स्वर्गदूतों को भेजा।
2️⃣ शत्रुओं से युद्ध में आस्थावानों की सफलता हेतु अलौकिक सहायता की प्रभावी भूमिका
3️⃣ देवदूत ईश्वर की सहायता के स्रोतों में से है।
4️⃣ ईश्वर की सहायता साधन और साधन से होती है।
5️⃣ सैन्य कमांडरों एवं जनरलों द्वारा सैनिकों को प्रेरित करना आवश्यक है।
6️⃣ ईमान वालों में जो निराशा पाई जाती है, उसके कारण उन्हें डाँटो।
7️⃣ पवित्र पैगंबर (स) द्वारा बद्र और ओहोद के योद्धाओं का प्रोत्साहन।


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तफ़सीर राहनुमा, सूर अ आले-इमरान

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