हौज़ा न्यूज़ एजेंसी
بسم الله الرحـــمن الرحــــیم बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
لِيَقْطَعَ طَرَفًا مِّنَ الَّذِينَ كَفَرُوا أَوْ يَكْبِتَهُمْ فَيَنقَلِبُوا خَائِبِينَ लेयक़्तआ तरफ़म मिनल लज़ीना कफ़रू औ यकबेतहुम फ़यंक़लेबू ख़ाएबीना (आले-इमरान, 127)
अनुवाद: (और यह मदद इसलिए है कि) काफ़िरों के एक बड़े हिस्से को काट (दबा) दिया जाए या उन्हें इस तरह अपमानित किया जाए कि वे पराजित और असहाय होकर लौट जाएं।
क़ुरआन की तफसीर:
1️⃣ दुश्मन सेना के एक समूह का विनाश और दूसरे समूह का अपमान ईश्वर द्वारा बद्र की लड़ाई में मुजाहिदीन की जीत के लक्ष्यों और उद्देश्यों में से एक है।
2️⃣ बद्र की लड़ाई में लश्कर काफ़र के सरदारों की मौत और अपमान।
3️⃣ अल्लाह तआला वह है जो अविश्वासियों को नष्ट और अपमानित करता है।
4️⃣ बचे हुए काफिरों की निराशाजनक और अपमानजनक वापसी ईश्वर की ओर से बद्र की मदद के मुजाहिदीन के लक्ष्यों और उद्देश्यों में से एक है।
5️⃣ धर्म के शत्रुओं को तब तक मारना, लूटना और अपमानित करना जारी रखना आवश्यक है जब तक वे अपमान और निराशा के साथ युद्ध के मैदान से भाग न जाएं।
6️⃣ सर्वशक्तिमान ईश्वर उपरोक्त लक्ष्यों और उद्देश्यों को बद्र की लड़ाई की सफलता मानता है।
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तफ़सीर राहनुमा, सूर ए आले-इमरान