۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024
Aga

हौज़ा / लखनऊ लगभग पाँच साल पहले जामिया अलमुस्तफ़ा अलआलमिया के प्रतिनिधि के रूप में हुज्जतुल इस्लाम वल मुसलिमीन अक़ाये रज़ा शाकरी भारत आए और अपनी जि़म्मेदारियों को अच्छे से निभाने के बाद ईरान वापस जा रहे हैं इसी सिलसिले में हौज़ा-ए-इल्मिया हज़रत गुफ़रानमाब की ओर से इमामबाड़ा गुफ़रान मआब लखनऊ में विदाई समारोह आयोजित हुआ।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,लखनऊ लगभग पाँच साल पहले जामिया अलमुस्तफ़ा अलआलमिया के प्रतिनिधि के रूप में हुज्जतुल इस्लाम वल मुसलिमीन अक़ाये रज़ा शाकरी भारत आए और अपनी जि़म्मेदारियों को अच्छे से निभाने के बाद ईरान वापस जा रहे हैं इसी सिलसिले में हौज़ा-ए-इल्मिया हज़रत गुफ़रानमाब की ओर से इमामबाड़ा गुफ़रान मआब लखनऊ में विदाई समारोह आयोजित हुआ जिसका आरंभ तिलावत-ए-कु़रआन से हुआ।

हुज्जतुल इस्लाम वल मुसलिमीन मौलाना सैय्यद रज़ा हैदर ज़ैदी प्रिंसिपल हौज़ा-ए-इल्मिया हज़रत गुफ़रानमाब लखनऊ ने उद्घाटन भाषण में हुज्जतुल इस्लाम वल मुसलिमीन अक़ाये रज़ा शाकरी की सेवाओं की प्रशंसा की और उपस्थित लोगों का धन्यवाद किया।

हौज़ा-ए-इल्मिया इमाम जाफ़र सादिक़ अ.स. जौनपुर के संस्थापक और निदेशक हुज्जतुल इस्लाम वल मुसलिमीन मौलाना सैय्यद सफ़दर हुसैन ज़ैदी ने अक़ाये रज़ा शाकरी की सेवाओं की सराहना करते हुए उनके नेक स्वभाव और भारतीय उलेमा और छात्रों के प्रति उनके इख़लास, मोहब्बत और हमदर्दियों का उल्लेख किया।

होज्जतुल इस्लाम वल मुसलिमीन मौलाना सैयद सफ़ी हैदर ज़ैदी, सचिव तंजीम-उल-मकातिब ने अक़ाये शाकरी की सेवाओं और नेक स्वभाव की ओर इशारा करते हुए कहा, "1987 से मैं तंजीम-उल-मकातिब में सेवाएँ दे रहा हूँ, यहाँ बहुत से विदेशी ओलमा आए और उन्होंने सेवाएँ दीं, लेकिन अक़ाये रज़ा शाकरी जैसे बाइख़लाक़, नेक और हमदर्द नहीं मिले, ये अपने निजी कारणों से यहाँ से जा रहे हैं, हम उनके लिए दुआ करते हैं।"

हुज्जतुल इस्लाम वल मुसलिमीन मौलाना सैय्यद क़ल्बे जव्वाद नक़वी, संरक्षक हौज़ा-ए-इल्मिया हज़रत गुफ़रानमाब और इमाम-ए-जुमा लखनऊ ने अक़ाये रज़ा शाकरी की सेवाओं और नेक स्वभाव की प्रशंसा करते हुए कहा, "मुद्दा यह नहीं है कि काम हुआ या नहीं बल्कि यह महत्वपूर्ण है कि इंसान अच्छे स्वभाव से पेश आए, क्योंकि यदि इंसान अच्छे स्वभाव से पेश आए तो चाहे काम न भी हो, सामने वाला राज़ी और ख़ुश होता है,

अक़ाये शाकरी हमारे लिए एक महान नेमत हैं, ये भारत के हौज़ा-ए-इल्मिया, ओलमा और छात्रों के मुख़लिस और हमदर्द हैं, एक बेहतरीन शख्सि़यत, एक बा इख़लाक़ शख्सि़यत हमारे बीच आई और अब वापस जा रही है, इनसे पहले बहुत से लोग यहाँ आए और उन्होंने अपनी जिम्मेदारियाँ निभाईं, अक़ाये शाकरी उन विशेष चंद लोगों में से हैं जो अपनी बेहतरीन सेवाओं और नेक स्वभाव के कारण बेमिसाल हैं।"

जामिया अल-मुस्तफ़ा अल-आलमिया के भारत में प्रतिनिधि,  हुज्जतुल इस्लाम वल मुसलिमीन अक़ाये रज़ा शाकरी ने भारतीय हौज़ा-ए-इल्मिया, निदेशकों, ओलमा, विशेष रूप से हुज्जतुल इस्लाम वल मुसलिमीन मौलाना सैय्यद कल्बे जव्वाद नक़वी, हुज्जतुल इस्लाम वल मुसलिमीन मौलाना सैय्यद सफ़ी हैदर ज़ैदी, सचिव तंजी़म-उल-मकातिब, हुज्जतुल इस्लाम वल मुसलिमीन मौलाना सैयद रज़ा हैदर ज़ैदी, प्रिंसिपल हौज़ा-ए-इल्मिया हज़रत गुफ़रानमाब रह और उपस्थित अन्य ओलमा व अफा़जि़ल का धन्यवाद किया।

इस समारोह में दीनी मदरसों के ज़िम्मेदारों, शिक्षकों और छात्रों ने भाग लिया।

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