۱ آذر ۱۴۰۳ |۱۹ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 21, 2024
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हौज़ा / राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, अयोध्या में आयोजित भव्य दीक्षांत समारोह में उत्तर प्रदेश की गवर्नर आनंदी बैन पटेल ने छात्र छात्राओं को डिग्रियां वितरित कीं इस अवसर पर, असंदरा गांव के समाजसेवी खानवाद ए मोहम्मद सिब्तैन ज़ैदी की चश्मो चिराग आमिना ज़ैदी को उर्दू विषय में पी.एच.डी की उपाधि से सम्मानित किया गया।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,अयोध्या, 22 सितंबर 2024 – राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, अयोध्या में आयोजित भव्य दीक्षांत समारोह में उत्तर प्रदेश की गवर्नर आनंदी बेन पटेल ने छात्र-छात्राओं को डिग्रियां वितरित कीं। इस अवसर पर, असंदरा गांव के समाजसेवी खानवादए मोहम्मद सिब्तैन जैदी की चश्मो चिराग, आमिना जैदी को उर्दू विषय में पीएचडी की उपाधि से सम्मानित किया गया।

आमिना जैदी प्रसिद्ध समाजसेवी मोहम्मद शकील जैदी और समाज सुधारक प्रिसिपल हौज़ा ए गुफरानमाब,आसिफी मस्जिद के इमामे जुमआ अल्लामा रज़ा हैदर जैदी की भतीजी और असंदरा के पूर्व प्रधान मोहम्मद अकील जैदी की बेटी हैं।

आमिना का शोध विषय मौलाना बाकिर जौरासी, हयात और उनकी अदबी खिदमात था, जिसमें उन्होंने उर्दू साहित्य की इस अद्वितीय हस्ती के जीवन और उनके अदबी योगदान पर गहन अध्ययन किया इस सफलता ने पूरे खानदान और क्षेत्र में गर्व और खुशी की लहर दौड़ा दी है।

शोध का विषय मौलाना बाकिर जौरासी की हयात और अदबी खिदमात

आमिना जैदी ने अपने शोध कार्य में मौलाना बाकिर जौरासी की साहित्यिक और शैक्षिक सेवाओं को गहराई से परखा। मौलाना जौरासी उर्दू साहित्य की एक महत्वपूर्ण शख्सियत थे, जिन्होंने अपने जीवनकाल में साहित्यिक दुनिया को समृद्ध किया।

आमिना का शोध उनके साहित्यिक योगदान, उनकी विचारधारा, और उनके सामाजिक सुधारों पर केंद्रित था। इस शोध के माध्यम से मौलाना के योगदान को एक नई दृष्टि प्रदान की गई है और उर्दू साहित्य के क्षेत्र में उनके महत्व को उजागर किया गया है।

परिवार और समुदाय में खुशी की लहर

आमिना जैदी की इस अद्वितीय सफलता से उनके परिवार में गर्व की भावना उमड़ पड़ी है। समाजसेवी मोहम्मद शकील जैदी, समाज सुधारक इमामे जुमा आसिफी इमामबाड़ा अल्लामा रज़ा हैदर जैदी, शमीम जैदी, कफील जैदी और नदीम जैदी ने इस उपलब्धि पर अपनी खुशी और गर्व का इज़हार किया है। असंदरा के पूर्व प्रधान मोहम्मद अकील जैदी की बेटी की इस उपलब्धि ने पूरे क्षेत्र में खुशी की लहर दौड़ा दी है।

इलाके के प्रमुख नेताओं की प्रतिक्रियाएं

इस अवसर पर क्षेत्र के प्रमुख नेताओं ने भी आमिना जैदी की इस महान सफलता पर बधाई दी है। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता अरविंद सिंह गोप, पूर्व सांसद पीएल पुनिया, सांसद तनुज पुनिया, पूर्व सांसद रामसागर रावत, प्रियंका सिंह रावत, और रामगोपाल रावत ने इस उपलब्धि को आमिना के लिए और उनके परिवार के लिए गर्व का क्षण बताया। इन नेताओं ने आमिना जैदी की मेहनत, समर्पण और उनकी लगन की सराहना की और कहा कि उनकी सफलता पूरे समुदाय के लिए प्रेरणादायक है।

शिया वक्फ बोर्ड और प्रेस फाउंडेशन ट्रस्ट की प्रतिक्रिया

शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन अली जैदी और प्रेस फाउंडेशन ट्रस्ट के सैयद रिजवान मुस्तफा ने भी आमिना जैदी की इस उपलब्धि पर खुशी व्यक्त की है। अली जैदी ने कहा कि आमिना जैदी की पीएचडी ने उर्दू साहित्य में एक नई दिशा दी है और यह उनके परिवार के लिए एक गर्व का क्षण है। सैयद रिजवान मुस्तफा ने इस उपलब्धि को एक प्रेरणादायक कदम बताया और कहा कि आमिना की यह सफलता आने वाली पीढ़ियों के लिए एक उदाहरण बनेगी।

खानवादए मौलाना बाकिर जौरासी की प्रतिक्रियाएं

खानवादए मौलाना बाकिर जौरासी के मौलाना सैयाद्दैन जौरासी, मौलाना जाबिर जौरासी, मौलाना हसनैन बाकरी, मौलाना अजिम बाकरी और मौलाना सकलैन बाकरी ने भी आमिना जैदी की इस सफलता पर अपनी खुशी जाहिर की है। उन्होंने आमिना की मेहनत और उर्दू साहित्य के प्रति उनके समर्पण की प्रशंसा की और इस उपलब्धि को मौलाना बाकिर जौरासी के योगदान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बताया।

अमीना जैदी के शौहर अली अरशद हुसैन जैदी अर्शी की इच्छा हुई पूरी

इस खुशी के मौके पर, अमीना जैदी के शौहर अली अरशद हुसैन जैदी, जिन्हें अर्शी के नाम से जाना जाता है, की दिली ख्वाहिश का भी जिक्र किया गया। अली अरशद की यह ख्वाहिश थी कि उनकी पत्नी पीएचडी की उपाधि प्राप्त करें, लेकिन दुर्भाग्यवश वह करोना काल में अचानक निधन कर गए।

इसके बाद लुबना ने अपने जीवन के इस कठिन मोड़ पर मजबूती से खड़े रहकर अपनी बच्ची फातिमा की परवरिश की और अपने शौहर की ख्वाहिश को पूरा करने के लिए मेहनत की। इस उपलब्धि ने न सिर्फ उनके परिवार को गर्व महसूस कराया है, बल्कि अली अरशद जैदी की आत्मा को भी तस्कीन पहुंचाई है।
 

आमिना जैदी की पीएचडी की उपाधि ने न केवल उनके परिवार और समुदाय को गर्वित किया है, बल्कि उर्दू साहित्य में एक महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

उनके शोध कार्य ने मौलाना बाकिर जौरासी की साहित्यिक और सामाजिक सेवाओं को नई दृष्टि दी है और उनकी मेहनत और समर्पण को उजागर किया है। आमिना की यह सफलता न केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण भी है।

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