गुरुवार 26 सितंबर 2024 - 22:24
मान्यताओं और विचारधाराओं की उपेक्षा करना एक अमान्य और ग़लत प्रथा है

हौज़ा / हज़रत आयतुल्लाह सुब्हानी ने कहा: केवल अहले-बैत (अ) के धार्मिक स्कूल से ही पश्चिमी दुनिया में उठाए गए संदेह और समस्याओं का सबसे अच्छा जवाब दिया जा सकता है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, हज़रत आयतुल्लाह सुब्हानी ने इमाम सादिक (अ) इंस्टीट्यूट क़ोम में आयोजित सेंटर फॉर इस्लामिक स्टडीज़ के शैक्षणिक वर्ष के उद्घाटन समारोह में अपने संबोधन के दौरान कहा: मान्यताओं और विचार के विद्यालयों को अनदेखा करना एक गलत और गलत कार्य है। 

उन्होंने कहा: अहले-बैत (अ) का धार्मिक स्कूल एकमात्र स्कूल है जिसमें बौद्धिक स्वतंत्रता है। इन महान विभूतियों के बाद विद्वानों की पाठशाला आती है, इसलिए हमें इस पाठशाला का महत्व रखना चाहिए।

मान्यताओं और विचारधाराओं की उपेक्षा करना एक अमान्य और ग़लत प्रथा है

आयतुल्लाह सुब्हानी ने कहा: धार्मिक मान्यताओं में नकल की अनुमति नहीं है। पिछले 100 वर्षों में हमने देखा है कि ईरान में धार्मिक और दार्शनिक मान्यताएँ प्रचलित हैं और हमारे पास कई धार्मिक और दार्शनिक विद्वान हैं जिनके पास बौद्धिक स्वतंत्रता है।

गौरतलब है कि इस समारोह में इमाम सादिक (अ) इंस्टीट्यूट के कई छात्रों को हजरत आयतुल्लाह सुब्हानी ने अम्मामा भी पहनाया।

मान्यताओं और विचारधाराओं की उपेक्षा करना एक अमान्य और ग़लत प्रथा है

मान्यताओं और विचारधाराओं की उपेक्षा करना एक अमान्य और ग़लत प्रथा है

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