۲۳ آبان ۱۴۰۳ |۱۱ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 13, 2024
Aga

हौज़ा / हज़रत आयतुल्लाह सुब्हानी ने छात्रों को अख़्लाक़ का सबक देते हुए कहा, चार अक्षर पढ़ लेने के बाद हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि ज्ञान की कुंजी हमारे हाथ में आ गई है ज्ञान की कुंजी अल्लाह तआला के हाथ में है और पैगंबर और अहेलबैत अलैहिस्सलाम के पास है हमें इस मामले में विनम्रता से काम लेना चाहिए।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा जाफर सुब्हानी ने इमाम सादिक़ अ.स. इंस्टीट्यूट परदेसान में छात्रों और उनके परिवारों को अख़ुलाक़ के पाठ में नसीहत करते हुए कहा, खुदावंद मुतआल ने फरमाया है,"
لا تُصَعِّرْ خَدَّکَ لِلنَّاسِ وَ لا تَمْشِ فِی الْأَرْضِ مَرَحاً إِنَّ اللهَ لا یُحِبُّ کُلَّ مُخْتالٍ فَخُورٍ"
यानी लोगों से घमंड और अहंकार से अपना चेहरा न फेरो और ज़मीन पर घमंड से मत चलो अल्लाह किसी घमंडी और खुदपसंद इंसान को पसंद नहीं करता। (सूरह लुक़मान: आयत 18)

उन्होंने कहा,खुशनसीब हैं वे लोग जो अपने आपको बुरे अख़लाक़ से पाक करते हैं।

आयतुल्लाह सुब्हानी ने आगे कहा,घमंड भी उन्हीं बुरे अख़लाक़ में से एक है। घमंड 'बाब तफअुल' से स्वीकार्यता के अर्थ में है यानी जब इंसान इस हद तक खुद को गिरा देता है कि वह अपनी श्रेष्ठता की खोज को अपनी आदत बना लेता है और यह अवस्था उसकी पहचान में गहरी पैठ बना लेती है और चार अक्षर पढ़कर यह न सोचें कि ज्ञान की कुंजी हमारे हाथ में आ गई है।

उन्होंने आगे कहा,घमंडी इंसान अपनी श्रेष्ठता जताने के लिए दो तरह से ज़ुल्म करता है एक खुद पर और दूसरा दूसरों पर क्योंकि वह दूसरों को कमतर समझता है।

आयतुल्लाह सुब्हानी ने कहा,हज़रत लुक़मान ने अपने बेटे को नसीहत की कि 'ऐ बेटे, लोगों से घमंड और अहंकार से अपना चेहरा न फेरो और कभी भी ज़मीन पर घमंड से मत चलो।

हज़रत आयतुल्लाह सुब्हानी ने छात्रों को अख़्लाक़ का सबक देते हुए कहा, चार अक्षर पढ़ लेने के बाद हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि ज्ञान की कुंजी हमारे हाथ में आ गई है ज्ञान की कुंजी अल्लाह तआला के हाथ में है और पैगंबर और अहेलबैत अलैहिस्सलाम के पास है हमें इस मामले में विनम्रता से काम लेना चाहिए।

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