हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार, सैयद हसन नसरुल्लाह की शहादत पर क़ुम अलमुक़द्देसा के हौज़ा ए इल्मिया फैज़िया में एक विरोध प्रदर्शन किया गया जिसमें छात्रों और आम जनता ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया और इस्राइली हुकूमत के अत्याचारों के खिलाफ अपने ग़म और ग़ुस्से का इज़हार किया।
इजलास की शुरुआत सुबह 9 बजे मदरसा-ए-इल्मिया फैज़िया में हुआ जहां प्रतिभागियों ने अज़ा अज़ा अस्त आज ख़ामेनेई इमाम साहिब-ए-अज़ा अस्त आज" और सैयद हसन नसरुल्लाह पेश ख़ुदा अस्त आज जैसे नारे लगाए।
प्रदर्शनकारियों ने रहबर-ए-मुअज्ज़म इंक़लाब और शहीद सैयद हसन नसरुल्लाह की तस्वीरें उठाई हुई थीं और फ़िलिस्तीन और लेबनान के मज़लूम आवाम के साथ एकजुटता का इज़हार किया।
प्रदर्शनकारियों ने मर्ग बर अमरीका मर्ग बर इस्राइल जिनायत इस्राइल जिनायत अमरीका अस्त" और "वाए अगर ख़ामेनेई इज़्न-ए-जिहादम दहद" जैसे नारे लगाकर अपने जज़्बात का इज़हार किया।
इजलास में रहबर-ए-मुअज्ज़म इंक़लाब सैयद अली ख़ामेनेई का पैग़ाम भी पढ़ा गया जिसमें सैयद हसन नसरुल्लाह की शहादत पर ताज़ियत पेश की गई।
फ़ुक़हा की काउंसिल और तेहरान के इमाम-ए-जुमा आयतुल्लाह सैयद अहमद ख़ातमी ने इस इजलास में खिताब करते हुए इस्राइली हुकूमत के अत्याचारों की मज़म्मत की और मुक़ावमत की हिमायत जारी रखने का अज़्म ज़ाहिर किया।
इजलास के आख़िर में प्रदर्शनकारियों ने मदरसा-ए-फ़ैज़िया से मस्जिद ए क़ुद्स तक रैली निकाली जिसमें वे अपने नारों के ज़रिए अमरीका और इस्राइल के खिलाफ अपने एहसासात का इज़हार कर रहे थे।