۱۸ آبان ۱۴۰۳ |۶ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 8, 2024
कुम

हौज़ा / ईरान के केंद्रीय प्रांत में वली ए फ़क़ीह के प्रतिनिधि ने कहा कि इस्लाम में ज़कात का फल्सफा यह है कि समाज में संतुलन और न्याय स्थापित किया जाए और गरीबों असहायों और ज़रूरतमंदों की समस्याओं का समाधान किया जाए।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार ,ईरान के केंद्रीय प्रांत में वली ए फ़क़ीह के प्रतिनिधि ने कहा कि इस्लाम में ज़कात का फल्सफा यह है कि समाज में संतुलन और न्याय स्थापित किया जाए और गरीबों असहायों और ज़रूरतमंदों की समस्याओं का समाधान किया जाए। इस्लाम ने ज़कात की व्यवस्था विशेष रूप से समाज के ज़रूरतमंद लोगों की कठिनाइयों को दूर करने के लिए बनाई है।

ईरान के केंद्रीय प्रांत में वली ए फ़क़ीह के प्रतिनिधि आयतुल्लाह दरी नजफआबादी ने ज़कात परिषद की बैठक में हिस्सा लेते हुए इस्राइली अतिक्रमणकारी और ज़ालिम सरकार द्वारा दुनिया भर के मुसलमानों के नरसंहार की निंदा की,और विशेष रूप से फ़ी सबील अल्लाह मुजाहिद अबू इब्राहीम याह्या सीनवार की शहादत का उल्लेख किया।

उन्होंने आगे कहा कि वैश्विक अहंकार विशेष रूप से ज़ायोनी अतिक्रमणकारी सरकार के अत्याचार के खिलाफ प्रतिरोध और जिहाद ही काफ़िरों और पूरी बुराई पर इस्लाम की जीत का एकमात्र रास्ता है।

आयतुल्लाह दरी नजफआबादी ने कहा कि बैतुल माल के किसी भी प्रकार के दुरुपयोग को अवैध और इस्लामी व राष्ट्रीय विश्वासघात माना जाता है। इसमें शामिल लोगों को सख्त से सख्त सजा दी जानी चाहिए और इस मामले में किसी भी प्रकार की नरमी बर्दाश्त नहीं की जा सकती क्योंकि जरूरतमंदों और असहायों के अधिकारों का हनन किसी भी सूरत में जायज़ नहीं हो सकता हैं।

उन्होंने ज़ोर दिया कि इस्लाम में ज़कात की हिकमत और उद्देश्य यह है कि यह सामाजिक न्याय लाती है और गरीबों और ज़रूरतमंदों की समस्याओं का समाधान करती है। इस्लाम ने ज़कात की व्यवस्था विशेष रूप से इस उद्देश्य के लिए बनाई है ताकि समाज में ज़रूरतमंदों की कठिनाइयों को हल किया जा सके।

टैग्स

कमेंट

You are replying to: .