हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, निम्नलिखित रिवायत "मुस्तदरक अल-वसाइल" पुस्तक से ली गई है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
قال الامام الصادق علیه السلام:
لَيْسَ نَبِيٌّ فِي السَّمَاوَاتِ وَ الْأَرْضِ إِلَّا وَ هُوَ يَسْأَلُ اللَّهَ تَبَارَكَ وَ تَعَالَى أَنْ يُؤْذَنَ لَهُ فِي زِيَارَةِ الْحُسَيْنِ عليهالسلام، فَفَوْجٌ يَنْزِلُ وَ فَوْجٌ يَعْرُجُ.
इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) ने फ़रमाया:
आसमान और धरती में कोई भी नबी ऐसा नहीं है जो नबी अल्लाह तआला से इमाम हुसैन (अ) की दरगाह की ज़ियारत की इजाज़त माँगे। इसलिए नबियों का एक समूह इमाम हुसैन (अ) की दरगाह की ज़ियारत के लिए जाता है और एक समूह वापस लौटता है।
मुस्तद्रक अल-वसाइल, भाग 10, पेज 244; कामिल उज़-ज़ियारात मंक़ूल, पेज 111
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