हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "इकबालुल आमाल " पुस्तक से लिया गया है इस रिवायत का पाठ इस प्रकार हैं।
جَعَلتُ هذَا الشَّهرَ (رَجَبَ) حَبلاً بَيني و بَينَ عِبادي فَمَنِ اعتَصَمَ بِهِ وَصَلَ بي
अल्लाह तआला हदीस ए कुद्दसी मे फरमाता हैं।
मैंने इस महीने (रजब) को अपने और अपने बंदों के बीच एक रस्सी बना दिया है जो इस रस्सी को थाम लेगा वह मुझसे विसाल प्राप्त करेगा।
इक़बाल अल-आमाल, भाग 3, पृष्ठ 174
आपकी टिप्पणी