हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "नहजुल बलाग़ा" पुस्तक से लिया गया है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
:قال امیرالمومنین علیه السلام
عـَلَيـْكـُمْ بـِكـِتـابِ اللّهِ، فـَاِنَّهُ الْحـَبـْلُ الْمـَتينُ وَالنُّورُ الْمُبينُ، وَالشِّفاءُ النّافِعُ وَالرِّىُّ النّاقِعُ وَالْعِصْمَةُ لِلْمُتَمَسِّكِ وَالنَّجاةُ لِلْمُتَعَلِّقِ
हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम ने फरमाया:
तुम पर ज़रूरी है कि किताबें खुदा से जुड़े रहो की वही मज़बूत रस्सी हैं, रोशन नूर ए इलाही,उज्ज्वल दिव्य प्रकाश, लाभकारी उपचार और प्यास बुझाने वाला सरचश्मा हैं जो उससे जुड़ा रहेगा वह उसके लिए रक्षक और अभिभावक और उस से राब्ता रखने वाले के लिए ज़रिए निजात हैं।
नहजुल बलाग़ा,खुतबा नं. 156