शनिवार 8 फ़रवरी 2025 - 09:31
नजफ़ अशरफ़ के इमाम ए जुमआ की ट्रंप के इराकी मामलों में हस्तक्षेपकारी फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्ति की है

हौज़ा / हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैयद सदरुद्दीन कबांची ने कहा,अमेरिका द्वारा ग़ाज़ा के लोगों के निर्वासन की मांग और जॉर्डन व मिस्र से उन्हें नियंत्रित करने का अनुरोध अस्वीकार्य है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार ,हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैयद सदरुद्दीन कबांची ने जुमआ के खुत्बे में कहां,अमेरिका द्वारा ग़ाज़ा के लोगों के निर्वासन की मांग और जॉर्डन व मिस्र से उन्हें नियंत्रित करने का अनुरोध अस्वीकार्य है।

यह उन पीड़ित लोगों के साथ अन्याय और ज़ुल्म है जो पहले ही नुकसान उठा चुके हैं और अमेरिका उनके नुकसान की भरपाई करने के बजाय उन्हें निर्वासित कर रहा है।

उन्होंने ट्रंप के फैसले पर टिप्पणी करते हुए कहा, ट्रंप द्वारा ईरान से इराक को गैस और बिजली के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय ईरान और इराक दोनों के लिए एक झटका है और हम इस फैसले की निंदा करते हैं।

इस फैसले का ईरान और इराक की जनता की इच्छा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा उन्होंने कहा कि ईरान की जनता आज इस्लामी क्रांति की 47वीं वर्षगांठ मना रही है और इराक वह देश है जहां हर साल लाखों लोग ज़ियारत के लिए आते हैं। दोनों देश अल्लाह पर भरोसा अहल-ए-बैत अ.स. से संबंध और उनके प्रति वफादारी से जुड़े हुए हैं जो इन दोनों राष्ट्रों की विजय का रहस्य है।

खुत्बे के अगले हिस्से में उन्होंने कहा कि इन दिनों आम माफी कानून में संशोधन चर्चा का विषय बना हुआ है इस संशोधन को इराकी संसद ने पारित किया था लेकिन संघीय न्यायालय ने इसे अस्वीकार कर दिया क्योंकि यह कानूनी मानकों और आवश्यक संख्या को पूरा नहीं करता था।

उन्होंने आगे कहा कि संघीय न्यायालय और उससे पहले समन्वय ढांचे (Coordination Framework) ने इस कानून पर आपत्ति जताई थी क्योंकि यह हजारों हत्यारों की रिहाई की अनुमति देता है।

कुछ प्रांतों द्वारा संघीय न्यायालय के फैसले पर आपत्ति और उनकी अवज्ञा की घोषणा, कानून के खिलाफ विद्रोह का रास्ता खोल सकती है और इसकी जिम्मेदारी केंद्र सरकार पर होगी।उन्होंने जोर देकर कहा कि हमें संवैधानिक ढांचे का पालन करना चाहिए बिना सरकार और न्यायपालिका पर दबाव डाले।

अपने खुतबे के अगले हिस्से में उन्होंने कहा कि इस सप्ताह 12 मिलियन (1.2 करोड़) छात्रों ने प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में प्रवेश लिया है यह नई पीढ़ी वैश्विक उपनिवेशवाद का निशाना है और इसे तैयार करने और सही दिशा में प्रशिक्षित करने की ज़िम्मेदारी धार्मिक शैक्षिक संस्थानों और खासतौर पर परिवारों पर है।

उन्होंने कहा कि स्कूल पाठ्यक्रम और शिक्षकों को इस विषय को विशेष महत्व देना चाहिए और हम शिक्षा अधिकारियों से अनुरोध करते हैं कि वे इस नई पीढ़ी के प्रशिक्षण में अपनी भूमिका निभाएं।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हम शाबान के महीने में हैं जो दुआ का महीना है और हमें अपनी हर ज़रूरत के लिए दुआ करने का संकल्प लेना चाहिए।

टैग्स

आपकी टिप्पणी

You are replying to: .
captcha