हौज़ा न्यूज़ एजेंसी!
वो लोग हमको मोहब्बत का दर्स क्या देंगे
जो अपने साथ सुलाते है अपने कुत्तो को
वो जिनकी माऐँ तड़पती है ओल्ड हाउस मे
तड़प तड़प के पुकारे है अपने बच्चो को
यह वेलेंटाइन के कल्चर की देन है कैसी
के लोग ढूंडते फिरते है खूनी रिश्तो को
अमीर जानवरो को ग़ेज़ा खिलाता है
बशर तरसा है दो रोटीयो के टुक्डो को
अमीर जादो के जूतो से मस जो होता है
ग़रीब धोके पहनता है ऐसाे कपड़ो को
सगे अमीर के मख़सूस डॉक्टर है यहां
ग़रीब देखता रहता है अपने ज़ख़्मो को
ये उसकी ज़िद है के रिश्तो को तोड़ देगा सभी
है ज़िद नजीब की जोड़ेगा टूटे रिश्तो को
नतीजा ए फ़िक्रः मौलाना नजीबुल हसन ज़ैदी
आपकी टिप्पणी