गुरुवार 13 मार्च 2025 - 08:41
ईरान हमेशा क्षेत्र की सुरक्षा का रक्षक रहा है

हौज़ा / इस्लामी गणतंत्र ईरान के राष्ट्रपति मसऊद पिज़िश्कियान ने नार्वे के प्रधानमंत्री के साथ टेलीफ़ोनी वार्ता में इज़राईल सरकार को पश्चिम एशिया में संकट और तनाव उत्पन्न करने का अस्ली कारण बताया।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, इस्लामी गणतंत्र ईरान के राष्ट्रपति ने रविवार की शाम को नार्वे के प्रधानमंत्री Jonas Gahr Storre से टेलीफ़ोनी वार्ता में कहा कि ईरान हमेशा क्षेत्र की शांति व सुरक्षा का रक्षक रहा है।

इस टेलीफ़ोनी वार्ता में ईरान के राष्ट्रपति ने ज़ायोनी सरकार को क्षेत्र में संकट और तनाव का अस्ली कारण बताया और कहा कि ज़ायोनी सरकार युद्धोन्माद और जंगी कार्यवाहियों के अलावा फ़िलिस्तीन के मज़लूम लोगों का नस्ली सफ़ाया करने के प्रयास में है और साथ ही दुष्प्रचार करके ईरान की शांतिपूर्ण परमाणु गतिविधियों को असुरक्षा का कारण दर्शाने की चेष्टा में है।

 इस टेलीफ़ोनी वार्ता में ईरान के राष्ट्रपति पिज़िश्कियान ने बल देकर कहा कि इमाम ख़ामेनेई के फ़त्वे के आधार ईरान कभी भी परमाणु हथियार बनाने के प्रयास में नहीं रहा है और सच्चाई के साथ परमाणु ऊर्जा की अंतरराष्ट्रीय एजेन्सी के साथ सहयोग किया और करेगा। इसी प्रकार उन्होंने कहा कि हम हर प्रकार के तनाव, अशांति और युद्ध को ख़ुद अपने लिए, क्षेत्र और विश्व के लिए  हानिकारक समझते हैं।

इस्लामी गणतंत्र ईरान के राष्ट्रपति ने टेलीफ़ोनी वार्ता की समाप्ति पर कहा कि हमारी सिद्धांतिक नीति का आधार तनाव को समाप्त करना और क्षेत्र में एकता उत्पन्न करना है मगर अपने देश की सुरक्षा और हितों के खिलाफ़ हर प्रकार की धमकी का पूरी शक्ति के साथ मुक़ाबला करेंगे।

राष्ट्रसंघ में ईरानी प्रतिनिधित्व ने सोशल प्लेटफ़ार्म पर भी लिखा है कि अगर वार्ता से तात्पर्य ईरान के परमाणु कार्यक्रम के संबंध में पायी जाने वाली संभावित चिंता को दूर करना है तो उसकी समीक्षा की जा सकती है मगर अगर वार्ता का लक्ष्य ईरान के शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम को ख़त्म करना है तो ईरान कभी भी वार्ता नहीं करेगा और ईरान के परमाणु कार्यक्रम को ख़त्म करना वह कार्य है जिसे बराक ओबामा भी न कर सके।

ईरान के विदेशमंत्री सय्यद अब्बास इराक़ची ने रविवार को सोशल साइट एक्स पर अपने पेज पर इस ओर संकेत किया कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम हमेशा पूरी तरह शांतिपूर्ण रहा है और मूलतः उसके सैन्यकरण की कोई बात ही नहीं है। उन्होंने ईरान के ख़िलाफ़ ट्रम्प की धमकियों की ओर संकेत करते हुए लिखा कि ईरान दबाव और धौंस में वार्ता की समीक्षा भी नहीं करेगा क्योंकि  वार्ता और दादागीरी व आदेश देने में अंतर है।

 इराक़ची ने कहा कि अमेरिका ने जब भी ईरान से सम्मानपूर्वक ढंग से वार्ता की उसे भी परस्पर सम्मान का सामना हुआ और जब भी उसने धमकी वाला दृष्टिकोण अपनाया उसे ईरानी मुक़ाबले का सामना हुआ।

उन्होंने लिखा कि इस समय हम तीन यूरोपीय देशों और रूस और चीन से परस्पर सम्मान और बराबरी के आधार पर अलग- अलग वार्ता और विचार- विमर्श कर रहे हैं और समीक्षा का उद्देश्य ईरान के परमाणु कार्यक्रम के संबंध में ग़ैर क़ानूनी प्रतिबंधों को समाप्त करने के बदले में भरोसा व विश्वास उत्पन्न करने के मार्गों को पता लगाना

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