हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार,लखनऊ 11 अप्रैल: जन्नतुल बक़ीअ के विध्वंस के 102 साल पूरे होने पर मजलिस-ए-उलमा-ए-हिंद द्वारा जुमे की नमाज के बाद आसिफी मस्जिद में विरोध प्रदर्शन किया गया इस मौके पर प्रदर्शनकारी अपने हाथों में ऐसे बैनर व पोस्टर लिए हुए थे जिसमें सऊदी सरकार और आले सऊद शासको के ख़िलाफ़ मुर्दाबाद के नारे लिखे हुए थे।
साथ ही प्रदर्शनकारियों के हाथों में "जन्नतुल बक़ी का निर्माण करो की मांग वाले बैनर भी थे। इस मौक़े पर प्रदर्शनकारियों ने वक़्फ़ कानून के खिलाफ भी प्रदर्शन किया और सरकार से वक्फ संशोधन कानून को वापस लेने की मांग की।
मजलिस-ए-उलमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना कल्बे जवाद नक़वी ने प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए सऊदी सरकार को ज़ायोनी सरकार की बदली हुई शक्ल बतलाया। उन्होने कहा कि जो लोग रसूल अल्लाह (स.अ.व) की पत्नियों और उनके साथियों की तौहीन का झूठा इलज़ाम शियो पर लगा कर उन्हें काफिर कहते हैं, वो जन्नत उल बक़ी में मौजूद रसूल अल्लाह की पत्नियों और उनके साथियों की क़ब्रों के विध्वंस पर ख़ामोश क्यों हैं?
उन्होंने कहा कि सऊदी सरकार पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद (स.अ.व) की मुजरिम है, क्योंकि उन्होंने पैग़म्बर की बेटी, उनकी आल ओ औलाद, पत्नियों और असहाब की कब्रें ध्वस्त कर दी हैं। मौलाना ने आगे कहा कि सऊदी सरकार ब्रिटेन और औपनिवेशिक शक्तियों की गुलाम है।
उन्होंने कहा कि सऊदी मुफ्तियों ने आज तक इस्लाम और कुरान का अपमान करने वालों के खिलाफ कोई फतवा जारी नहीं किया, लेकिन इस्लामी समुदायों के काफ़िर होने के फतवे देते रहते हैं। इससे पता चलता है कि ये सभी मुफ्ती औपनिवेशिक शक्तियों के ख़रीदे हुए हैं।
उन्होंने कहा कि सऊदी अरब में बार, क्लब और कैसीनो खुल रहे हैं। रियाद शराब और शबाब का केंद्र बन चूका है। प्रसिद्ध नर्तकियों को नृत्य करने के लिए आमंत्रित किया जाता है, लेकिन एक भी मौलवी इसकी निंदा करते हुए बयान नहीं देता। मौलाना ने कहा कि ग़ाज़ा युद्ध ने आले सऊद के चेहरे पर पड़ा नक़ाब हटा दिया है और अब मुसलमान उनकी हक़ीक़त से बा ख़बर हो चुके हैं।
उन्होंने कहा कि सभी मुसलमानों को एकजुट होकर जन्नतुल बक़ी के पुनः निर्माण के लिए आवाज़ उठानी चाहिए। यह हमारा इंसानी और इस्लामी कर्तव्य है। मौलाना ने कहा कि जन्नतुल बक़ी को ध्वस्त हुए 102 साल बीत चुके हैं, क्या मुसलमानों का ग़ैरत अभी तक अपने पैग़म्बर (स.अ.व) की बेटी, उनके परिवार, औलाद, पत्नियों और साथियों की कब्रों पर हुए ज़ुल्म का विरोध करने के लिए जागृत नहीं हुई है?
मौलाना रज़ा हुसैन रिज़वी, मौलाना फैज़ अब्बास मशहदी, मौलना शबाहत हुसैन और खानकाह सलाहुद्दीन से बाबर सफ़वी ने भी तक़रीर करते हुए सऊदी सरकार से जन्नत उल बाक़ी के पुनः निर्माण की मांग की। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र और भारत सरकार से आग्रह करते हुए कहा कि सऊदी सरकार पर जन्नतुल बक़ी के पुनः निर्माण के लिए दबाव डाला जाये ताकि पवित्र मज़ारों के निर्माण की अनुमति हमें दी जा सके।
विरोध प्रदर्शन में मौलाना सरताज हैदर ज़ैदी, मौलाना फ़िरोज़ हुसैन ज़ैदी, मौलाना रज़ा हुसैन रिज़वी, मौलाना फैज़ अब्बास मशहदी, मौलाना शबाहत हुसैन, मौलाना नज़र अब्बास ज़ैदी समेत बड़ी संख्या में मोमनीन शामिल हुए निज़मत आदिल फराज़ ने अंजाम दी।
इस अवसर पर मजलिस-ए-उलमा-ए-हिंद ने जन्नतुल बक़ी के पुनः निर्माण के लिए संयुक्त राष्ट्र, दिल्ली स्थित सऊदी अरब दूतावास और भारत सरकार को ईमेल के माध्यम से एक मेमोरेंडम भी भेजा।
आपकी टिप्पणी