हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, निम्नलिखित रिवायत "ख़ेसाल" पुस्तक से ली गई है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
قال رسول اللہ صلی الله علیه وآله:
رَكْعَتَيْنِ بِسِواكٍ اَحَبُّ اِلَى اللّه مِنْ سَبْعينَ رَكْعَةً بِغَيْرِ سِواكٍ.
रसूल अल्लाह (स) ने फ़रमाया:
मिस्वाक के साथ पढ़ी गई दो रकअत नमाज़ अल्लाह के नज़दीक बिना मिस्वाक के पढ़ी गई सत्तर रकअत नमाज़ से बेहतर है।
ख़ेसाल, पेज 481, हदीस 52
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