हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, निम्नलिखित रिवायत "अल-ख़ेसाल" पुस्तक से ली गई है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
قال الامام السجاد علیه السلام:
حَقُّ مَن أساءَكَ أن تَعفُوَ عَنهُ، و إن عَلِمتَ أنَّ العَفوَ عَنهُ يَضُرُّ انتَصَرتَ، قالَ اللّهُ تَبارَكَ و تَعالى: «و لَمَنِ انتَصَرَ بَعدَ ظُلمِهِ فاُولئكَ ما عَلَيهِم مِن سَبيلٍ»
हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ) ने फ़रमाया:
जो व्यक्ति तुम्हें हानि पहुँचाता है, उसे क्षमा करने का अधिकार है, परन्तु यदि तुम जानते हो कि उसे क्षमा करना उसके लिए हानिकर होगा तो उससे बदला लो। अल्लाह तआला फ़रमाता हैं: "और जो कोई ज़ुल्म के बाद बदला ले, उस पर कोई दोष नहीं।"
अल-ख़ेसाल: पेज 570, हदीस 1