हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, निम्नलिखित रिवायत "वसाइल अल-शिया" पुस्तक से ली गई है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
قال الامام الصادق علیہ السلام:
ما يَمنَعُ اَحَدَكُم اِذا دَخَل عَلَيهِ غَمٌّ مِن غُمُومِ الدُّنيا اَن يَتَوَضَّاَ ثُمَّ يَدخُلَ مَسجِدَهُ وَ يَركَعَ رَكعَتَينِ فَيَدعُوَ اللّه فيهِما؟ اَما سَمِعتَ اللّه يَقُولُ: «و َاستَعينوا بِالصَّبرِ وَ الصَّلاةِ»؟
हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया:
जब भी तुममें से किसी पर कोई सांसारिक दुःख या मुसीबत आ पड़े, तो तुम्हें वुज़ू करने और सजदा (नमाज़) की जगह पर जाने और दो रकअत नमाज़ पढ़ने और दुआ करने से कौन रोकता है? क्या तुमने नहीं सुना कि अल्लाह तआला फ़रमाता है, " सब्र और नमाज़ से मदद मांगो।"
अल-वसाइल अल-शिया, भाग 8, पेज 138