हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाह खामेनेई ने यात्रियों द्वारा पूरी नमाज़ अदा करने की आवश्यकता पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। जिसका उल्लेख हम यहां शरई अहकाम में रुचि रखने वालों के लिए कर रहे हैं।
प्रश्न: अगर कोई मुसाफ़िर जिसकी नमाज़ क़स्र हो, भूल जाए और पूरी नमाज़ पढ़ ले और बाद में उसे इसका एहसास हो, तो उसे क्या करना चाहिए?
उत्तर: अगर कोई मुसाफ़िर भूल जाए कि उसकी नमाज़ क़स्र है और वह पूरी नमाज़ पढ़ ले, तो यदि उसे समय के अन्दर याद आ जाए तो उसे दोबारा नमाज़ पढ़नी चाहिए। लेकिन अगर समय बीत जाने के बाद उसे याद आए तो नमाज़ की क़ज़ा करना वाजिब नहीं है।
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