गुरुवार 1 मई 2025 - 09:45
हौज़ा ए इल्मिया के बुज़ुर्ग फोक्हा की इल्मी मीरास समकालीन फिक़्ह के लिए मूल्यवान पूंजी है

हौज़ा / हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अस्ना अशरी ने कहा है कि इमाम ख़ुमैनी र.ह. आयतुल्लाह बोरूजर्दी (रह), आयतुल्लाह हाएरी र.ह.और अन्य वरिष्ठ फकीहों की बौद्धिक विरासत, समकालीन फिक़्ह के लिए एक अद्वितीय और अमूल्य पूंजी है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अस्ना अशरी ने कहा कि इमाम ख़ुमैनी र.ह.आयतुल्लाह बोरूजर्दी र.ह.आयतुल्लाह हाएरी र.ह. और अन्य वरिष्ठ फकीहों की विद्वतापूर्ण विरासत समकालीन फिक़्ह के लिए एक बेमिसाल और बहुमूल्य संपत्ति है। 

यह बातचीत हौज़ा-ए-इल्मिया क़ुम की स्थापना के सौ साल पूरे होने के अवसर पर आयोजित एक समारोह के दौरान हुई, जिसका उद्देश्य युवा छात्रों और आम जनता को हौज़ा के बौद्धिक विकास से अवगत कराना था।

इस क्रम में फिक़्ह और उसूल इस्लामिक जुरिस्प्रूडेंस एवं नियमों के सिद्धांत के शोध समूह की गतिविधियों पर आधारित एक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई, जिसकी व्याख्या समकालीन फिक़्ह कार्यालय के प्रमुख, हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अस्ना अशरी ने की। 

उन्होंने कहा,फिक़्ह और उसूल का यह शोध समूह उन फकीहों के विशेष विचारों और इज्तिहादी (धार्मिक निर्णयन) नवाचारों का अध्ययन कर रहा है, जिन्होंने हौज़ा-ए-इल्मिया क़ुम के बौद्धिक इतिहास पर गहरा प्रभाव डाला है। फिक़्ह एक ऐसा बौद्धिक क्षेत्र है जो अपनी हज़ार साल पुरानी परंपरागत नींव पर नए मुद्दों पर शोध करता है।

शोध प्रक्रिया की शुरुआत लगभग दस सदस्यों वाली एक बौद्धिक टीम के साथ हुई, जिसमें युवा विद्वान, अनुभवी शोधकर्ता और प्रसिद्ध शिक्षक शामिल थे। इस दौरान आयतुल्लाहिल उज़्मा बोरूजर्दी, इमाम ख़ुमैनी, आयतुल्लाह शेख़ मुर्तज़ा हाएरी, आयतुल्लाह दामाद और आयतुल्लाह बहजत जैसे महान हस्तियों के फिक़्ही और उसूली विचारों का गहन विश्लेषण किया गया। उनके मूल कार्यों के साथ-साथ उन पर प्रकाशित लेखों का भी अध्ययन किया गया। 

हुज्जतुल इस्लाम अस्ना अशरी ने बताया कि इन महान विद्वानों के फिक़्ही विचारों को समझने वाले विशेषज्ञों की कमी के कारण यह शोध कार्य एक जटिल और गहन अध्ययन का विषय था, जिसमें शिक्षकों से परामर्श भी शामिल था। यह चरणबद्ध शोध लगभग डेढ़ साल तक चला और इसके परिणामस्वरूप पाँच प्रामाणिक बौद्धिक खंड तैयार किए गए हैं, जिन्हें एक संग्रह के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा। संभावना है कि कुछ अन्य समकालीन फकीहों के विचारों को भी इसमें शामिल किया जाएगा। 

इस संग्रह की खास बात इसका तकनीकी और संक्षिप्त स्वरूप है। इसमें हर फकीह के केवल वही विचार शामिल किए गए हैं जो या तो इज्तिहादी नवाचार रखते हैं या फिर अपने समय के लिहाज से असामान्य माने जाते थे। उदाहरण के लिए, आयतुल्लाह बेरूजर्दी शब्दों के अर्थ (दलालत-ए-लफ़्ज़ी) के बजाय कर्म के अर्थ (दलालत-ए-फ़ेली) को अधिक महत्व देते थे और इमाम ख़ुमैनी ने हदीस "उमर इब्ने हंज़ला" की विलायत-ए-फकीह के संदर्भ में एक विशेष और सूक्ष्म व्याख्या प्रस्तुत की है। 

उन्होंने आयतुल्लाह शेख़ मुर्तज़ा हाएरी की बौद्धिक शख्सियत का भी उल्लेख किया और कहा कि उनके बौद्धिक विचार अपेक्षाकृत कम ज्ञात रहे हैं, क्योंकि उनकी कई रचनाएँ देर से प्रकाशित हुईं या अभी तक दरूस-ए-ख़ारिज में भी पूरी तरह व्यक्त नहीं हुई हैं। 

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अस्ना अशरी ने आशा व्यक्त की कि यह बौद्धिक प्रयास, फकीहों के कम ज्ञात विचारों की ओर ध्यान आकर्षित करने में प्रभावी साबित होगा और नई बौद्धिक पीढ़ी के लिए शोध का आधार बनेगा। 

अंत में उन्होंने कहा,निस्संदेह, इमाम ख़ुमैनी, आयतुल्लाह बरूजर्दी, आयतुल्लाह हाएरी और अन्य महान विद्वानों के बौद्धिक कार्य, समकालीन फिक़्ह की एक मूल्यवान और अतुलनीय पूंजी हैं।

टैग्स

आपकी टिप्पणी

You are replying to: .
captcha