गुरुवार 31 जुलाई 2025 - 10:00
इटरव्यू: ईरानी सुप्रीम लीडर का अपमान और मीडिया की गिरती साख

हौज़ा / क़ुम अल मुक़द्देसा मे रहने वाले भारतीय शिया धर्मगुरू, कुरआन और हदीस के रिसर्चर मौलाना सय्यद साजिद रज़वी से हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के पत्रकार ने ईरानी सुप्रीम लीडर का अपमान और मीडिया की गिरती साख से संबंधित विषय पर विशेष बातचीत की।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के प्रतिनिधि ने क़ुम अल मुक़द्देसा मे रहने वाले भारतीय शिया धर्मगुरू, कुरआन और हदीस के रिसर्चर मौलाना  सय्यद साजिद रज़वी से हौज़ा  न्यूज़ एजेंसी के पत्रकार ने ईरानी सुप्रीम लीडर का अपमान और मीडिया की गिरती साख से संबंधित विषय पर विशेष बातचीत की।  इस बात चीत को अपने प्रिय पाठको के लिए प्रस्तुत किया जा रहा हैः

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी: हाल ही में कुछ मीडिया चैनलों ने रहबर-ए-मुअज़्ज़म के खिलाफ शर्मनाक और झूठे आरोप लगाये हैं। आप इसे किस नज़रिए से देखते हैं?

मौलाना साजिद रज़वीः ये एक सुनियोजित मीडिया हमला है। रहबर-ए-मुअज़्ज़म सिर्फ ईरान के ही नहीं, बल्कि पूरी उम्मत के एक मज़बूत, मुत्तक़ी और मुतफ़क्किर लीडर हैं। उन पर ऐसा आरोप लगाना, सिर्फ झूठ फैलाने की कोशिश नहीं, बल्कि एक सस्ती पब्लिसिटी और सच्चाई पर सीधा हमला है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी: क्या आपको लगता है कि इस तरह की रिपोर्टिंग के पीछे कोई वैश्विक एजेंडा है?

मौलाना साजिद रज़वीः बिल्कुल। जब भी कोई मज़हबी लीडर मज़लूमों की आवाज़ बनता है  चाहे वो फ़िलस्तीन हो या कोई दूसरा देश या व्यक्ति  तो साम्राज्यवादी ताक़तें उन्हें बदनाम करने लगती हैं। रहबर की मुख़ालिफ़त दरअसल इस्लामी जागरूकता और इन्क़िलाब से दुश्मनी है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी: क्या इस पर कोई क़ानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए?

मौलाना साजिद रज़वीः हां, ज़रूर। ये सिर्फ़ तौहीन नहीं, एक अवाम की भावनाओं के साथ खिलवाड़ है। ऐसे चैनलों पर ना सिर्फ़ शिकायत दर्ज होनी चाहिए, बल्कि उनकी साख की समीक्षा भी ज़रूरी है। मीडिया की आज़ादी, झूठ फैलाने की आज़ादी नहीं होती।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी: इंडिया टीवी की छवि पर इसका क्या असर पड़ा है?

मौलाना साजिद रज़वीः इंडिया टीवी ने पहले ही अपनी साख़ खो दी थी। लेकिन इस हरकत ने साफ़ कर दिया कि ये चैनल अब किसी एजेंडे का हिस्सा बन चुका है। अब लोगों को ख़ुद फ़ैसला करना है कि वो ज़िम्मेदार मीडिया देखना चाहते हैं या बिकाऊ एजेंडे।

हौज़ा न्यूज़ एजेंंसी: आम मुसलमानों और हक़ पसंद लोगों को क्या करना चाहिए?

मौलाना साजिद रज़वीः क़ानूनी कार्रवाई के अलावा सबसे पहले ऐसे झूठे चैनलों का बहिष्कार करें। दूसरा, सोशल मीडिया पर शांति और अक़्लमंदी के साथ सच्चाई को फैलाएं। तीसरा, दुआ और जागरूकता  यही सबसे बड़ा जवाब है ज़ुल्म पर।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी: क्या आप इस घटना को सिर्फ़ एक तौहीन मानते हैं या इससे आगे कुछ?

मौलाना साजिद रज़वीः ये तौहीन से बढ़कर है  ये एक हक़ को दबाने की कोशिश है। ये हमला हर उस आवाज़ पर है जो मज़लूमों के साथ खड़ी होती है। लेकिन हक़ को दबाया नहीं जा सकता, रहबर की इज्ज़त उनके किरदार से है, मीडिया की नहीं।

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