हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हौज़ा इल्मिया कुम आज इस्लामिक दुनिया का एक महत्वपूर्ण शैक्षिक केंद्र बन चुका है और इस समय लगभग 120 देशों से संबंधित छात्र यहाँ अहले बैत अ.स ज्ञान से लाभान्वित हो रहे हैं समनान प्रांत में वली-ए-फकीह के प्रतिनिधि, हज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मुर्तज़ा मुतीई ने यह बात कही।
उन्होंने 7 और 8 मई को हौज़ा इल्मिया कुम की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने पर आयोजित होने वाली कांफ्रेंस के मौके पर ऐतिहासिक संदर्भ में चर्चा करते हुए कहा,कुम का धार्मिक और शैक्षिक महत्व दूसरी सदी हिजरी में अशअरी उलेमा और इमाम सादिक अलीहिस्सलाम तथा इमाम मूसा काज़िम अलीहिस्सलाम के शागिर्दों की कोशिशों से स्थापित हुआ।
विभिन्न बड़े उलेमाओं ने इसे आगे बढ़ाया, लेकिन चौदहवीं शताबदी हिजरी शमसी के शुरुआती वर्षों में ईरान और इराक के हौज़ात तानाशाही और उपनिवेशी चुनौतियों का शिकार हुए।
हज्जतुल इस्लाम मुतीई ने स्पष्ट किया,नजफ अशरफ के हौज़ा इल्मिया पर ओटोमन साम्राज्य और बाद में ब्रिटिश साम्राज्य का दबाव रहा। इस्फ़हान के हौज़ा को अफ़ग़ान आक्रमण से नुकसान हुआ, और क़ाजार और रिज़ाख़ानी दौर में तेहरान का हौज़ा कड़ी समस्याओं का सामना कर रहा था।
ऐसे हालात में धार्मिक उलेमाओं ने हौज़ा की नई बुनियाद के लिए म़रहूम आयतुल्लाहिल उज़मा शेख अब्दुल करीम हैयरी यज़दी को कुम बुलाया। उनकी विद्वता, तक़वा और बसीरत के कारण, 1301 शमसी में कुम में हौज़ा इल्मिया की फिर से स्थापना की गई।
उन्होंने कहा,म़रहूम हैयरी ने शुरू में राजनीतिक मामलों से किनारा किया, ताकि धर्म और ज्ञान की बुनियादें सुरक्षित रहें, लेकिन उन्हीं की शैक्षिक बुनियादों पर बाद में इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह, आयतुल्लाह बुर्ज़ुर्दी, आयतुल्लाह गुलपाएगानी, आयतुल्लाह अराकी और अन्य बड़े उलेमाओं ने शैक्षिक और क्रांतिकारी गतिविधियों को विस्तार दिया।
हज्जतुल इस्लाम मुतीई ने आगे कहा आज दुनिया के 100 देशों में शिया हौज़ा इल्मिया स्थापित हैं और कुम का हौज़ा इन सभी के लिए शैक्षिक स्रोत के रूप में कार्य करता है। दुनिया के 120 देशों से छात्र यहाँ आकर अहले बैत अ.स के ज्ञान को सीख रहे हैं। म़रहूम हैयरी को सही रूप में आयतुल्लाह मूस्सिस' कहा जाता है, जिनकी बुनियादों पर इस्लामी क्रांति के ध्वजवाहकों ने उन्नति की।
अंत में उन्होंने कहा,हमें चाहिए कि हम इस महान संस्थापक को हमेशा सम्मान के साथ याद करें जिन्हें इमाम राहिल रहमतुल्लाह अलैह ने भी कई बार प्रशंसा के शब्दों में श्रद्धांजलि अर्पित की है।
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