हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, अमलू, मुबारकपुर, जिला आज़मगढ़ (उत्तर प्रदेश), भारत /अल्लाह ताला पवित्र कुरान के सूरह मुहम्मद में कहता है, "यदि आप अल्लाह की मदद करेंगे, तो अल्लाह आपकी मदद करेगा" हज़रत इमाम हुसैन ( अ.स.) ने खुदा की राह में सब कुछ कुर्बान कर दिया और खुदा के दीन को बचाया और अल्लाह की मदद का हक़ पूरा किया। फिर इमाम हुसैन (अ.स.) ने कर्बला के मैदान में सदाए इस्तेग़ासा बुलंद की और कहा, "क्या कोई मददगार है" जो मेरी मदद करे?" याद रखें, आज के विज्ञान और प्रौद्योगिकी के युग में, इमाम हुसैन (अ.स.) के प्यार और समर्थन के लिए, शक्ति और ज्ञान का होना आवश्यक है। साम्राज्य और सरकार शक्ति और प्रभुत्व और शक्ति क़ुदरत नही है, बल्कि क़ुदरत, दौलत व सरवत, सलतनत वा हकूमत तथा ताकत और प्रभुत्व एंव इकतेदार है। नहजुल बलागा मे हज़रत अली इब्न अबी तालिब (अ) ने कहा, "अल इल्मो सुल्तान" सुल्तान का अनुवाद है, "शक्ति"। यह शक्ति है जिसके लिए आयतुल्लाह सिस्तानी (इराक) और आयतुल्लाह खामेनेई (ईरान) ने अपने संदेशों में भारत के शिया मुसलमानों को शक्ति प्राप्त करने के लिए बार-बार प्रोत्साहित और आग्रह किया है।
ये विचार सबील मीडिया के सदस्य मौलाना सैयद ज़मीर अब्बास जाफरी ने 2 रबी अल-अव्वल को 8:30 बजे शब अज़ाखाना अबू तालिब महमूदपुरा अमलू मुबारकपुर में स्वर्गीय श्री अब्दुल हकीम द्वारा आयोजित सालाना मजलिस में व्यक्त किए।
अंत में मौलाना ने कर्बला में इमाम हुसैन (अ.स.) के ईसाइयों की महानता और उत्कृष्टता का वर्णन किया और हज़रत अब्बास (अ.स.) और हज़रत सकीना बिन्त अल-हुसैन (अ.स.) के मसाइब का वर्णन किया, जिससे लोगों की आँखों में आँसू आ गए।
इसके बाद अंजुमन असगरिया, अंजमन हेनिया, अंजमन इमामिया, अंजमन जवानान हुसैनी, अंजमन अंसार हुसैनी कदीम, अंजमन अंसार हुसैनी रजिस्टर्ड, अंजमन मासूमिया आदि ने सीना ज़नी की।
कार्यक्रम की शुरुआत इफ्तिखार हुसैन और हुमनवा की तिलावत से हुई और इस मौके पर निज़ामत अल-अलेक हुसैन ने की मौलाना इब्न हसन अमलवी वाइज, मौलाना करार हुसैन, मौलाना मुहम्मद मेहदी हुसैनी, मौलाना काजिम अली वाइज, मौलाना मुहम्मद मेहदी अमलवी, अल-हाज मास्टर अमीर हैदर, अल-हाज मास्टर सागर हुसैनी, मास्टर क़ैसर रज़ा, मास्टर शुजात और कई अन्य शोक मनाने वालों ने भाग लिया।
गौरतलब है कि हुज्जतुल-इस्लाम मौलाना सैयद जमीर अब्बास जाफरी के आगमन पर अल-हाज मास्टर अमीर हैदर करबलाई ने अपनी बेटी नहजत-उल-फातिमा उर्फ आलमीन (छात्रा) लखनऊ विश्वविद्यालय में चित्रकला और ललित कला विभाग) के हाथो द्वारा बनी पेंटिंग प्रस्तुत की जो मौलाना को पसंद आई और उन्होंने बहुत सराहना की।