गुरुवार 5 जून 2025 - 12:10
इमाम महदी (अलैहिस्सलाम) की शासन शैली

हौज़ा / इमाम महदी (अ) का शासन का तरीका वही है जो हज़रत मुहम्मद (स) का था। जैसे पैग़म्बर साहब ने अपने समय में हर तरह की जाहिलियत (अंधविश्वास, अन्याय और बुराइयों) के खिलाफ लड़ाई लड़ी और सच्चे इस्लाम को इस दुनिया में स्थापित किया, जो दुनिया और आख़िरत दोनों की खुशहाली का कारण है, वैसे ही इमाम महदी (अ) भी अपनी ज़ाहिर होने पर नई जाहिलियत, जो पुरानी जाहिलियत से भी ज़्यादा दर्दनाक है, से मुकाबला करेंगे। वे इस्लाम और अल्लाह के क़ीमती मूल्यों को आधुनिक जाहिलियत के खंडहरों पर फिर से स्थापित करेंगे।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, हर शासक की अपनी एक खास शासकीय शैली होती है, जो उसकी पहचान होती है। जब इमाम महदी (अ) पूरी दुनिया की हुकूमत संभालेंगे, तो वे भी अपनी एक विशेष और सही व्यवस्था के साथ विश्व व्यवस्था को चलाएंगे।

सबसे ज़रूरी बात यह है कि धार्मिक हदीसो मे हमें इमाम महदी (अ) के शासन का एक सामान्य चित्र दिखाती हैं, जिसमें यह साफ़ है कि उनके शासन की शैली पैग़म्बर मुहम्मद (स) के शासन शैली की तरह होगी। जैसे पैगम्बर ने अपने समय की हर तरह की जाहिलियत से लड़ाई की और सच्चे इस्लाम को स्थापित किया, वैसे ही इमाम महदी (अ) भी नई और आधुनिक जाहिलियत से लड़ेंगे और इस्लामी व अल्लाह के मूल्य स्थापित करेंगे।

इमाम सादिक (अ) से इमाम महदी (अ) की शासन शैली के बारे में

इमाम सादिक (अ) से पूछा गया कि इमाम महदी (अ) का शासन और तरीका कैसा होगा? उन्होंने जवाब दिया:

یَصْنَعُ کَمَا صَنَعَ رَسُولُ اَللَّهِ صَلَّی اَللَّهُ عَلَیْهِ وَ آلِهِ یَهْدِمُ مَا کَانَ قَبْلَهُ کَمَا هَدَمَ رَسُولُ اَللَّهِ صَلَّی اَللَّهُ عَلَیْهِ وَ آلِهِ أَمْرَ اَلْجَاهِلِیَّةِ وَ یَسْتَأْنِفُ اَلْإِسْلاَمَ جَدِیداً यस्नओ कमा सनआ रसूलुल्लाहे (स) यहदेमो मा काना कब्लहू कमा हदमा रसूलुल्लाहे (स) अमरल जाहेलियते व यस्तअनेफ़ुल इस्लामा जदीदा

वे उसी तरह काम करेंगे जैसे अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व आलिहि व सल्लम) ने किया। जैसे पैगंबर ने उस समय की जाहिलियत (अंधविश्वास और बुराइयों) को खत्म किया, वैसे ही इमाम महदी (अ.स) भी अपनी ज़ाहिर होने से पहले की सारी जाहिलियत को मिटा देंगे और इस्लाम को फिर से नया रूप देंगे। (अल-ग़ैबा नौमानी, भाग 1, पेज 230)

यह इमाम महदी (अलैहि सलाम) की शासनकाल के दौरान उनकी मुख्य नीतियाँ हैं। हालांकि, समय की परिस्थितियाँ अलग-अलग होती हैं, इसलिए शासन और कार्यान्वयन के तरीके में भी बदलाव हो सकते हैं, जैसा कि विभिन्न हदीसों में बताया गया है।

इमाम महदी (अ) की जिहादी और संघर्षशील शैली

इमाम महदी (अ) अपनी वैश्विक क्रांति के साथ दुनिया से काफ़िरों और शिर्क (बहुदेववाद) को पूरी तरह खत्म कर देंगे और सभी लोगों को पवित्र धर्म इस्लाम की ओर बुलाएंगे। पैग़म्बर मुहम्मद (स) ने इस बारे में फ़रमाया:

سُنَّتُهُ سُنَّتِی یُقِیمُ النَّاسَ عَلَی مِلَّتِی وَ شَرِیعَتِی सुन्नतोहू सुन्नती योक़ीमुन नासा अला मिल्लती व शरीअती

उनका तरीका मेरा तरीका है, वे लोगों को मेरी दीन और शरीयत पर कायम करेंगे। (क़मालुद्दीन, भाग 2, पेज 411)

इमाम महदी (अ) उस समय जुह़ूर करेगे जब सच्चाई इतनी स्पष्ट हो चुकी होगी कि पूरी दुनिया के लोगों के लिए कोई शक या बहाना न बचे। यानी हर तरफ से लोगों पर हक़ की दलील पूरी हो चुकी होगी।फिर भी, कुछ हदीसो के अनुसार, इमाम (अ) हर धर्म और हर समूह के साथ उनके अपने विश्वासों और आधार के हिसाब से बातचीत और संवाद करेंगे।

یَسْتَخْرِجُ التَّوْرَاةَ وَ سَائِرَ کُتُبِ اللَّهِ عَزَّ وَ جَلَّ مِنْ غَارٍ بِأَنْطَاکِیَةَ وَ یَحْکُمُ بَیْنَ أَهْلِ التَّوْرَاةِ بِالتَّوْرَاةِ وَ بَیْنَ أَهْلِ الْإِنْجِیلِ بِالْإِنْجِیلِ وَ بَیْنَ أَهْلِ الزَّبُورِ بِالزَّبُورِ وَ بَیْنِ أَهْلِ الْقُرْآنِ بِالْقُرْآنِ यस्तख़रेजुत तौराता व साऐरल कोतोबिल्लाहे अज़्ज़ा व जल्ला मिन ग़ारिन बेअंताकीयता व यहकोमो बैना अहलित तौराते बित तौराते व बैना अहलिलल इंजीले बिल इंजीले व बैना अहलिज़ ज़बूरे बिज़ ज़बूरे व बैना अहलिल क़ुरआने बिल क़ुरआन

इमाम महदी (अ) तौरात और बाकी सारी अल्लाह के किताबें जो आकाशीय हैं, उन्हें अन्ताकिया के एक गुफा से निकालेंगे। फिर वे तौरात वालों के बीच तौरात के हिसाब से, इंजील वालों के बीच इंजील के हिसाब से, ज़बूर वालों के बीच ज़बूर के हिसाब से और क़ुरआन वालों के बीच क़ुरआन के हिसाब से फैसला करेंगे। (अल-ग़ैबा नौमानी, पेज 237)

इमाम (अ) की न्यायिक शैली

इमाम महदी (अ) को पूरी दुनिया में न्याय स्थापित करने के लिए चुना गया है। अपनी इस जिम्मेदारी को निभाने के लिए उन्हें एक मजबूत न्याय प्रणाली की जरूरत होगी। इसलिए वे अपने दादा, इमाम अली (अ) की तरह काम करेंगे। वे पूरी ताकत और गंभीरता से लोगों के हक़ों की रक्षा करेंगे और जहां भी अन्याय होगा, उसे दूर कर सही हक़दार को वापस दिलाएंगे।

कुछ हदीसे बताती हैं कि इमाम महदी (अ) न्याय करते समय पैग़म्बर दाऊद और सुलैमान (अ) की तरह काम करेंगे। वे अपनी दिव्य ज्ञान के आधार पर फैसला करेंगे, न कि गवाहों की बातों पर।

इमाम सादिक़ (अ) ने इस बारे में कहा है:

إذا قام قائم آل محمد حکم بحکم داود وسلیمان لا یسأل الناس بینة इज़ा क़ामा क़ाएम आले मुहम्मद हकमा बेहुक्मे दाऊद व सुलैमान ला यस्अलुन नासा बय्येनतिन

जब मुहम्मद के वंश का क़ाइम (इमाम महदी) आएगा, तो वे दाऊद और सुलैमान की तरह न्याय करेंगे, यानी गवाहों की ज़रूरत नहीं होगी। (बिहार उल अनवार, भाग 52, पेज 320)

इमाम महदी (अ) की प्रबंधन शैली

सरकार के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज़ों में से एक उसके अधिकारी होते हैं। जब जिम्मेदार अधिकारी योग्य और अच्छे होते हैं, तो सरकार और जनता का काम सही ढंग से चलता है और सरकार के मकसद हासिल करना आसान हो जाता है।

पैग़म्बर मुहम्मद (स) ने इस बारे में कहा है:

عَلامَةُ الْمَهْدی اَنْ یکُونَ شَدیداً عَلَی الْعُمّالِ جَواداً بِالْمالِ رَحیماً بِالْمَساکین अलामतुल महदी अन यकूना शदीदन अलल उम्माले जवादन बिल माले रहीमन बिलमसाकीन

महदी की निशानी यह है कि वह अपने कर्मचारियों के प्रति सख्त है, धन में सखी है और गरीबों के प्रति दयालु है। (मोअजम अल अहादीस अलइमाम अलमहदी, भाग 1, पेज 246)

इमाम महदी (अ) की आर्थिक नीति

इमाम महदी (अ) जो न्याय और इंसाफ का प्रतीक हैं, सरकारी खजाने (बैतुलमाल) को एक ऐसा सार्वजनिक धन मानते हैं जिसमें सभी लोग बराबर के हिस्सेदार होते हैं। इसमें कोई भेदभाव या खास फायदा नहीं होता।

पैग़म्बर मुहम्मद (स) ने फ़रमाया है:

اِذا قامَ قائِمُنا اضْمَحَلَّت الْقَطائِعُ فَلاقَطائِع इज़ा क़ामा क़ाऐमोनज़ महल्लतिल क़ताऐओ फ़ला क़ताए

जब हमारा क़ायम (महदी) आएगा, तो ज़मीनों के खास कब्जे (कटाई) खत्म हो जाएंगे, यानी कोई भी ज़मीनें जो अत्याचारी शासकों ने अपने नाम कर रखी हों, वे खत्म हो जाएंगी। (बिहार उल अनवार, भाग 52, पेज 309)

इमाम महदी की आर्थिक नीति की एक खास बात यह है कि वे सभी लोगों की ज़रूरतों को पूरा करने और एक उचित जीवन स्तर बनाने के लिए बहुत सारा धन लोगों में बाँटेगे। उनके शासन में कोई भी ज़रूरतमंद उनसे कुछ माँगेगा तो उसे बहुत सारा धन दिया जाएगा।

पैग़म्बर मुहम्मद (स) की हदीस है:

یکون فی آخر أمتی خلیفة یحثو المال حثوا यकूनो फ़ी आख़ेरा उम्मती खलीफ़तन यहसुल मालो हसू

मेरी उम्मत के आखिरी दौर में एक खलीफा होगा जो धन बहुत उदारता से बांटेगा। (मोअजम अल अहादीस अलइमाम अलमहदी, भाग 1, पेज 232)

इमाम महदी (अ) का व्यक्तिगत व्यवहार

इमाम महदी (अ) का व्यक्तिगत व्यवहार और लोगों के साथ उनका रिश्ता एक आदर्श इस्लामी शासक का उदाहरण है। उनके लिए सरकार एक ऐसा ज़रिया है जिससे वे लोगों की सेवा करें और उन्हें उच्चतम स्तर की कमालता तक पहुंचाएं, न कि सत्ता का इस्तेमाल दौलत जमा करने या लोगों पर अत्याचार करने के लिए।

वास्तव में, वह नेक इमाम, जो शासन की कुर्सी पर विराजमान हैं, पैगम्बर मुहम्मद (स) और अमीरुल मोमिनीन अली (अ) के शासन की याद दिलाते हैं। हालांकि सारी दौलत और संपत्ति उनके अधीन है, वे अपनी निजी जिंदगी में बहुत सादगी से रहते हैं और कम से कम चीज़ों में संतुष्ट रहते हैं।

इमाम सादिक़ (अ) ने उनकी इस सादगी और परोपकार की विशेषता का वर्णन किया है।

فَوَ اَللَّهِ مَا لِبَاسُهُ إِلاَّ اَلْغَلِیظُ وَ مَا طَعَامُهُ إِلاَّ اَلشَّعِیرُ اَلْجَشِبُ फ़वल्लाहे मा लेबासोहू इल्लल ग़लीज़ो व मा तआमोहू इल्लश शईरुल हश्बो

वो अल्लाह की कसम, उसका कपड़ा कठोर और सख्त होता है, और उसका खाना केवल कठोर जौ होता है। (अल-गैबाह, शेख तूसी, भाग 1, पेज 459)

इमाम सादिक़ (अ) ने यह भी फ़रमाया:
اِنَّ قائِمَنا اِذا قامَ لَبِسَ لِباسَ عَلِی وَ سارَ بِسیرَتِهِ इन्ना क़ाऐमना इज़ा क़ामा लबेसा लिबासा अली व सारा बेसीरतेहि

जब हमारा क़ायम (महदी) आएगा, तो वह इमाम अली (अ) के कपड़े पहनेगा और उनकी ही तरह का तरीका अपनाएगा। (वसाइल उश-शिया, भाग 5, पेज 17)

इक़्तेबास: किताब "नगीन आफरिनिश" से (मामूली परिवर्तन के साथ)

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