हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, दुआओ मे इमाम महदी अलैहिस सलाम को ऐसे फ़ज़ाइल के साथ पेश किया गया है, जिनमें से हर एक उनके व्यक्तित्व को दर्शाता है और उनके प्रति विश्वास को मजबूत करने तथा उनके साथ संबंध और संपर्क बढ़ाने में मदद करता है।
अलमुल-मंसूब
इसका अर्थ है "ऊंचा झंडा"; क्योंकि उनका पवित्र अस्तित्व एक हिदायत का झंडा है जो सत्य की तलाश करने वालों को सच्चाई की राह दिखाता है। उनकी हिदायत के बिना, इंसान ग़ैबत के दौर की फ़ित्नों और गुमराही में फंस जाएंगा।
ज़ियारत आले यासीन में हम पढ़ते हैं:
"السَّلَامُ عَلَیکَ أَیهَا … العَلَمُ المَنصُوب अस्सलामो अलैका अय्युहा... अल-अलमुल मंसूब"
सफ़ीनतुन नेजात
इसका मतलब है "निजात की कश्ती"; क्योंकि जो कोई भी इमाम महदी (अलैहिस्सलाम) की इमामत पर यकीन रखता है और उनकी आज्ञा का पालन करता है, वह निजात पाने वाला होगा। और निश्चित रूप से, इसके अलावा कोई और रास्ता नहीं है।
इमाम महदी अलैहिस सलाम की एक ज़ियारत में आया है:
"اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَی خَلِیفَتِکَ فِی بِلَادِکَ …. سَفِینَةِ النَّجَاةِ अल्लाहुम्मा सल्ले अला खलीफतेका फी बेलादेका ... सफ़ीनतिन नेजात"
हे अल्लाह! अपने खलीफ़ा पर हर शहरों में दुरूद और सलाम भेज… जो निजात की कश्ती है।
वारेसो उलूमिन नबीय्यीन (पैगम्बरों के ज्ञान का वारिस)
इसका मतलब है पैगम्बरों के ज्ञान का वारिस; क्योंकि इमाम महदी (अलैहिस्सलाम) आखिरी हिकमत का पैगाम और सभी अंबिया और औलिया का सार हैं। हदीसों के अनुसार, जो भी इल्मी रहमतें पैगम्बरों पर नाज़िल हुई हैं, वे सब इमाम महदी (अलैहिस्सलाम) के पास इकट्ठा हैं।
पवित्र सरदाब की ज़ियारत में इमाम महदी अलैहिस सलाम को संबोधित किया गया है:
"السَّلَامُ عَلَیکَ یا وَارِثَ عُلُومِ النَّبِیین अस्सलामो अलैका या वारिसा उलूमिन नबीय्यीन"
और ज़ियारत आले यासीन में उनकी विद्या और ज्ञान (इल्म और दानिश) को इस तरह वर्णित किया गया है:
"السَّلَامُ عَلَیکَ أَیهَا …. الْعِلْمُ الْمَصْبُوب अस्सलामो अलैका अय्युहा... अल-इल्मुल मस्बूब"
तुम पर सलाम हो, हे वह ज्ञान जो बरसता और फैलता है।
मासूम और हर दोष से पाक
हज़रत महदी अलैहिस सलाम हर पाप और गंदगी से साफ़ और हर तरह की बुराई से दूर हैं; क्योंकि वे अल्लाह के चुने हुए हुज्जत और सभी लोगों के मार्गदर्शक हैं।
इमाम रज़ा (अलैहिस्सलाम) की दुआ में आया है:
"عَصَمْتَهُ مِنَ الذُّنُوبِ وَ بَرَّأْتَهُ مِنَ الْعُیوبِ وَ طَهَّرْتَهُ مِنَ الرِّجْسِ وَ سَلَّمْتَهُ مِنَ الدَّنَس असमतहू मिनज़ ज़ुनूबे व बर्रातहू मिनल ओयूबो व तह्हरतहू मिनर रिज्से व सल्लमतहू मिनद दनसे"
हे अल्लाह! तूने उन्हें पापों से बचाया, हर दोष से मुक्त किया, हर गंदगी से साफ़ किया और हर नापाकी से सुरक्षित रखा।
लोगों का सहारा और आश्रय
इमाम महदी (अलैहिस सलाम) सभी लोगों के लिए आश्रय और सहारा हैं, जो मुश्किलों और संकटों में सबसे अच्छा सहारा और भरोसेमंद मददगार हैं।
दुआ-ए-एहद में आया है:
"وَ اجْعَلْهُ اللَّهُمَ مَفْزَعاً لِمَظْلُومِ عِبَادِکَ وَ نَاصِراً لِمَنْ لَا یجِدُ لَهُ نَاصِراً غَیرَک वजअल्हुल्लाहुमा मफ्ज़अन लेमज़लूमे इबादेका व नासेरन लेमन ला यजेदो लहु नासेरन ग़ैरका"
(हे अल्लाह! उन्हें अपने जुल्म झेल रहे बंदों का सहारा और उन लोगों का मददगार बना दे जिनके लिए तेरे सिवा कोई मददगार नहीं है।)
और दुआ-ए-नुदबा में भी हम कहते हैं:
اللَّهُمَّ وَ نَحْنُ عَبِیدُکَ التَّائِقُونَ إِلَی وَلِیکَ المُذَکِّرِ بِکَ و بِنَبیکَ خَلَقْتَهُ لَنَا عِصْمَةً وَ مَلَاذاً، وَ أَقَمْتَهُ لَنَا قِوَاماً وَ مَعَاذا अल्लाहुम्मा व नहनो अबीदोकत ताएक़ूना ऐला वलीएकल मुज़क्केरे बेका व नबीयका ख़लक़तहू लना इस्मतन व मलाज़न, व अक़मतहू लना केवामन व मआज़ा
"हे अल्लाह! हम तेरे बंदे हैं जो तेरे वली के लिए तरस रहे हैं, जो हमें तेरी और तेरे पैग़ंबर की याद दिलाता है। तूने उसे हमारे लिए बचाव, सुरक्षा और हमारी आस्था और ईमान की शरण के रूप में बनाया है, और हमारे लिए सहारा और आश्रय बनाया है।"
और...
श्रृंखला जारी है.....
इक़्तेबास: किताब "नगीन आफरिनिश" से (मामूली परिवर्तन के साथ)
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