हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ईरान के धार्मिक शहर क़ुम अलमुकद्देसा मे रहने वाले भारतीय शोधकर्ता और इस्लामिक स्टड़ीज़ के छात्र हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन मौलाना हाफिज़ मोहम्मद सय्यद फरज़ान रिज़वी से हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के प्रतिनिधि के साथ हफ़ता ए वहदत के अवसर पर विशेष बात मे मौलाना ने कहा,हफ्ता ए वहदत दरअसल उम्मत ए मुस्लिमा के लिए एक बड़ा उपहार है, जिसकी नींव हज़रत रूह अल्लाह मूसवी मशहूर इमाम खुमैनी रहमतुल्लाह अलैह ने रखी थी। हौज़ा न्यूज़ के पत्रकार और मौलाना के बीच हुई बात चीत को प्रशन उत्तर के रूप मे अपने प्रिय पाठको के लिए प्रस्तुत कर रहे है।
हौज़ा न्यूज़ : हफ्ता-ए-वहदत क्या है?
मौलाना हाफिज़ सय्यद मोहम्मद फरज़ान रिज़वी : हफ्ता-ए-वहदत मुस्लिम समुदाय के लिए एक बहुत बड़ा तोहफा है। इसे हर साल 12 से 17 रबीउल-अव्वल के बीच मनाया जाता है इस हफ्ते का मकसद दुनिया भर के मुसलमानों को एक-दूसरे के करीब लाना है ताकि वे पैगंबर मोहम्मद (स) की पैदाइश के इस खुशहाल मौके पर अपने मतभेद भूलकर एकजुट हों।
हौज़ा न्यूज़ : इस हफ्ते वहदत का असली मकसद क्या है?
मौलाना हाफिज़ सय्यद मोहम्मद फरज़ान रिज़वी : इसका असली मकसद है सभी मुसलमान शिया, सुन्नी और बाकी सभी अपने मतभेदों को छोड़कर भाईचारे और मोहब्बत के साथ एक-दूसरे की मदद करें। क्योंकि दुश्मन चाहता है कि हम बंट जाएं, लेकिन अगर हम एक साथ रहें तो वो कभी सफल नहीं हो पाएगा।
हौज़ा न्यूज़ : इस्लाम में एकता और भाईचारे की अहमियत क्या है?
मौलाना हाफिज़ सय्यद मोहम्मद फरज़ान रिज़वी : इस्लाम हमें एकता और भाईचारे की सीख देता है। क़ुरआन ने फरमाया,
وَاعْتَصِمُوا بِحَبْلِ اللَّهِ جَمِيعًا وَلَا تَفَرَّقُوا (سورۃ آلِ عمران 103)
सब मिलकर अल्लाह की रस्सी को मजबूती से थाम लो और आपस में भेदभाव और तफ़रक़ा मत डालो! पैगंबर मोहम्मद (स) ने भी मदीने में उखुव्वत और भाई चारे का संदेश दिया ताकि तमाम मुसलमान एक परिवार की तरह रहें।
हौज़ा न्यूज़ : हमें इस हफ्ते को कैसे मनाना चाहिए?
मौलाना हाफिज़ सय्यद मोहम्मद फरज़ान रिज़वी : हमें इसे सिर्फ एक औपचारिकता नहीं बनाना चाहिए। असली मकसद है दिलों को जोड़ना, मतभेद कम करना और मुसलमानों को एक आवाज़ बनाना। अगर हम ऐसा करेंगे तो इस्लाम और मुसलमानों की ताकत बढ़ेगी।
हौज़ा न्यूज़ : कोई खास बात जो आप साझा करना चाहेंगे?
मौलाना हाफिज़ सय्यद मोहम्मद फरज़ान रिज़वी : हां, इमाम ख़ुमैनी र.ह. ने फरमाया था:
"तुम उस बात पर झगड़ रहे हो कि नमाज़ में हाथ बांधना है या खोलना, जबकि दुश्मन तुम्हारे हाथ काटने में लगा हुआ है।इसका मतलब है कि छोटे-छोटे मतभेदों में उलझ कर हम अपनी असली ताकत, यानी एकता, खो देते हैं।
हौज़ा न्यूज़ : आख़िरी संदेश क्या है?
मौलाना हाफिज़ सय्यद मोहम्मद फरज़ान रिज़वी : इस हफ्ते हम सब वादा करें कि अपने मतभेद भूलकर एक-दूसरे से प्यार और भाईचारा बढ़ाएंगे। अपने भाइयों का सहारा बनेंगे और दुश्मन के खिलाफ एक मजबूत ताकत बनेंगे। यही पैगंबर मोहम्मद (स) का असली संदेश है।
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