हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, मशहूर विद्वान अल्लामा शब्बीर हसन मीसामी ने मुहर्रम के दौरान मजलिस-ए-अज़ा के दौरान कुरआन सेंटर डिफेंस में "दीन-ए-मुहम्मदी (स.अ.व.) के विषय पर अपनी बात रखते हुए कहा कि व्यक्तिगत और सामाजिक, राजनीतिक और अन्य अधिकारों को प्राप्त करना कुछ वर्गों के स्वार्थ के कारण मुश्किल बना दिया जाता है।
लेकिन कर्बला समाज के सभी पीड़ित वर्गों को यह सबक देती है कि वे अपने हक़ के लिए कभी पीछे न हटें, चाहे ज़ालिम कितना भी ताकतवर क्यों न हो उसका सामना करें।
क्योंकि विजय और सफलता हमेशा सत्य की ही होती है।इ'लाए कलिमतुल्लाह" (अल्लाह के कलमे को बुलंद करने) के लिए हिम्मत, दृढ़ता, सब्र और संतुष्टि के साथ खड़े होना दीन-ए-मुहम्मदी (स.अ.व.) का वह असली चेहरा है जिसे नवासे-ए-रसूल हज़रत इमाम हुसैन (अ.स.) और उनके वफादार साथियों ने स्पष्ट किया। शहीद-ए-कर्बला ने अपने खून का कुरबानी देकर इस्लामी शिक्षाओं और मूल्यों को वह स्थायित्व दिया जिससे हमेशा मानवता सीखती रहेगी।
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