۱۱ تیر ۱۴۰۳ |۲۴ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 1, 2024
हौजा़

हौज़ा/मुजफ्फरनगर तिस्सा में दस सफ़र को इमाम हुसैन की बेटी जनाब ए सकीना की शहादत की मजलिस को संबोधित करते हुए लखनऊ से आए शिया धर्मगुरु मौलाना सैय्यद कल्बे जव्वाद नक़वी साहब ने कहा कि कर्बला में दो शहजादो की जंग नहीं थी,ये जंग हक़ और बातिल की जंग थी,

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,मुजफ्फरनगर भोपा क्षेत्र तिस्सा में दस सफ़र को इमाम हुसैन की बेटी जनाब ए सकीना की शहादत की मजलिस को संबोधित करते हुए लखनऊ से आए धार्मिक विद्वान शिया धर्मगुरु मौलाना सैयद कल्बे जव्वाद नक़वी साहब ने कहा कि करबला में दो शहजादो की जंग नहीं थी,ये जंग हक और बातिल की जंग थी,

यज़ीद जो एक जालिमों जाबिर था जो हुकूमत के नशें में चुर था वह चाहता था कि इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम मेरी बैयत कर लें, लेकिन हुसैन ने यज़ीद के खिलाफ आवाज़ बुलंद की और कहा मुझ जैसा तुझ जैसे कि हरगिज़ बैयत नहीं कर सकता,

मौलाना सैयद कल्बे जव्वाद ने कहा कि जब इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम मदीना से कर्बला की तरफ अपने घर वालों को लेकर निकल रहे थे तो आप फ़रमा रहे थे कि मैं अपने नाना मुहम्मद ए मुस्तफा की उम्मत की इसलाह के लिए मदीने से जा रहा हूं, मौलाना ने कहा कि हुसैन का मकसद जंग करने का नहीं था बल्कि आपको दीन ए इस्लाम बचाना था, इसीलिए आप अपनी बहन जैनब और उममे कूलसूम, 6 महीने के बेटे अली असगर और 4 वर्ष की बेटी सकीना व अन्य घर की औरतों को भी कर्बला लेकर गए थे, 2 मुहर्रम 61हिजरी को हुसैन कर्बला पहुंचे और साथ ही साथ यजीद का लश्कर भी करबला पहुंचा और इमाम और उनके साथियों पर पानी बंद कर दिया गया और 10 मुहर्रम 61 हिजरी को हुसैन और उनके साथियों को तीन दिन का भुका प्यासा शहीद कर दिया गया,

जुल्म की इन्तहा यहीं खत्म नहीं हुई हुसैन के घर की महिलाओं को और हुसैन के बीमार बेटे इमाम जैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम को क़ैद कर के यजीद के दरबार में ले जाया गया
इसी बीच इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की चार वर्ष की बेटी जनाब ए सकीना की 10 सफर में शहादत हो गई इन्हीं की याद में तीस्सा सादात में कदीमी मजलिसे अजा़ को हर वर्ष संबोधित करने के लिए मौलाना सैयद कल्बे जव्वाद नक़वी साहब लखनऊ से आते हैं।
इसके बाद मौलाना ने जनाब ए सकीना के मसायब पढ़ें और फिर अंजुमन ए अब्बासिया तीससा सादत और बाहर से आईं हुईं अंजुमन ने बड़ी अकीदत के साथ नौहा और सीना ज़नी की फिर जुलूस हूसैनी चौक से उठ कर अपने कदीमी रास्तों से गुज़रता हुआ कर्बला में कयाम पंजीर हुआ।

इसी दौरान जुलूस में मौजूद तमाम हुसैनीयो को पुर्व प्रधान पत प्रत्याशी नवेद अहमद ने कर्बला वालों की याद में सबील लगाकर शर्बत पिलाया और कहां इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम सिर्फ शियों के ही इमाम नहीं है बल्कि इमाम हुसैन हर उसे व्यक्ति के पेशवा हैं चाहे वह शिया हो सुनी हो या किसी भी धर्म का हो जिसके दिल में इंसानियत पाई जाती है,
नवेद अहमद ने कहा इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने कर्बला के मैदान में जो अपना बलिदान दिया वह सिर्फ शिया कोम के लिए नहीं था बल्कि पूरी इंसानियत के लिए था।

इस अरबाईन की मजलिस में आसपास के जिलों से भी मेहमान आए हुए थे और नजदीकी गांव वालों ने भी मजलिस में शिरकत की और लब्बैक या हुसैन का नारा लगाकर यह साबित किया की इमाम हुसैन कल कर्बला के मैदान में आप सिर्फ 72 को लेकर गए थे लेकिन आज आपके साथ सारा ज़माना है।

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