۱۵ تیر ۱۴۰۳ |۲۸ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 5, 2024
शबील

हौज़ा/आपके घर के आगे से ही जुलूस ए इमाम हुसैन अ.स.निकलता है आपने जुलूस में मौजूद सभी हुसैनीयो को रोककर शरबत पिलाया और आप ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा के मेरे बुर्जग हमेशा से ही इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की मजलिस करते हुए आए हैं

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,मुज़फ्फरनगर तिस्सा सादात में जुलूस ए इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम में पूर्व प्रधान पत प्रत्याशी नवेद अहमद कुरैशी ने सबील लगाई।

आपके घर के आगे से ही जुलूस ए इमाम हुसैन अ.स.निकलता है आपने जुलूस में मौजूद सभी हुसैनीयो को रोककर शरबत पिलाया और आप ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा के मेरे बुर्जग हमेशा से ही इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की मजलिस करते हुए आए हैं।

आपने कहा हम मजलिस करके दुनिया को यह संदेश देना चाहते हैं के इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का ग़म सिर्फ शिया क़ोम हीं नहीं मनाती बल्कि इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का ग़म हर धर्म का इंसान मनाता है कर्बला में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की जंग किसी एक कबीले के लिए नहीं थी बल्कि इंसानियत के लिए हमारे नबी के नाती हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की जंग थी।

आपने अपने बयान में कहा यजीद जो एक आतंकवादी था ज़ालिम बादशाह था उसका कहना था कोई नबी नहीं आया कोई इस्लाम नहीं आया कोई कोई किताब नहीं आईं वो बस यह मुहम्मद और मुहम्मद के परिवार का ढोंग है वो चाहता था इमाम हुसैन मेरी बेयत करें लेकिन हमारे मोला हज़रत इमाम हुसैन ने यजीद की बेयत नहीं की अपना सर कटा दिया यानी इस्लाम की खातिर इमाम हुसैन ने अपनी जान दे दी मगर बातिल के सामने सर को नहीं झुकाया।
नवेद अहमद ने कहा इसी की  ग़म की याद में हम इमाम हुसैन का ग़म आज तक मना रहें हैं और कयामत तक इसी तरह मनाते रहेगें चाहे दुनिया लाख कोशिश कर ले ये ग़म कम नहीं होने वाला।

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