हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनेई ने हुज्जतुल इस्लाम रय शहरी के जनाज़े पर पहुंचे और नमाज़े जनाज़ा पढ़ी इसके बाद मरहूम के परिजनों और क़रीबियों से बात करते हुए इमाम ख़ामेनेई ने इंटेलीजेन्स मंत्रालय में, जज के ओहदे पर और इंक़ेलाब के दौरान उनकी सेवाओं को इस्लामी व्यवस्था के लिए बहुत मूल्यवान योगदान क़रार दिया।
आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने जनाब रय शहरी से अपनी पहली मुलाक़ात के बारे में बताया और इंटेलीजेन्स मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान उनके साथ अपनी मीटिंगों को याद करते हुए कहा कि मुझे वाक़ई उनके साथ बैठने में बहुत लुत्फ़ आता था क्योंकि वो हमेशा काम और मिशन की फ़िक्र में रहते थे और आध्यात्मिक इंसान थे।
इस्लामी क्रांति के नेता ने इस वरिष्ठ धर्मगुरु के निधन पर अपने सांत्वना संदेश में भी उनकी परहेज़गारी, मन की पाकीज़गी और अनथक संघर्ष का ज़िक्र किया और इस महान धर्मगुरु की सेवाओं और जेहाद के अलग अलग मैदानों की तरफ़ इशारा करते हुए उनके निधन को बहुत कड़वा और दुखद नुक़सान क़रार दिया।
हुज्जतुल इस्लाम रय शहरी 22 मार्च को तेहरान के एक अस्पताल में चल बसे। उन्होंने अपने जीवन में ज्ञान और धार्मिक शिक्षा केन्द्र की सेवा करने के साथ ही इस्लामी इंक़ेलाब की फ़तह के बाद एटार्नी जनरल, पहले इंटेलीजेन्स मंत्री, विशेषज्ञ एसेंबली के सदस्य, हित संरक्षक परिषद के सदस्य और हज़रत शाह अब्दुल अज़ीम हसनी के रौज़े के मुतवल्ली जैसे ओहदों पर असीन रहकर मूल्यवान सेवा की।