हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , ईरानी सशस्त्र बलों के चीफ ऑफ स्टाफ मेजर जनरल सैयद अब्दुल रहीम मूसवी ने कहा कि ईरान ने दुश्मन के लिए एक विनाशकारी योजना तैयार की थी जिसे युद्धविराम की वजह से लागू नहीं किया जा सका। हालांकि, अगर दुश्मन ने फिर कोई गलती की तो यह योजना तुरंत लागू कर दी जाएगी।
सेपाह-ए पासदारान के पूर्व प्रमुख शहीद जनरल हुसैन सलामी की याद में आयोजित मजलिस-ए तहरीम के दौरान हुसैनिया फातिमा अज़-ज़हरा (स.ल.व.) में उन्होंने कहा कि महान ईरानी कौम और प्रतिरोध मोर्चा इस समय कुछ ऐसे महान योद्धाओं के शोक में हैं, जो अपने आप में अनूठे थे और जिनका कोई विकल्प नहीं है।
जनरल मूसवी ने कहा,मैंने अपने अत्यंत प्रिय भाइयों, बहादुर, त्यागी और निस्वार्थ साथियों तथा दयालु और हमदर्द कमांडरों को खो दिया है। इस दुखद घटना पर रहबर-ए मोअज़्ज़म, ईरानी कौम, प्रतिरोध मोर्चा, शहीदों के परिवारों और सशस्त्र बलों के सभी वीर सिपाहियों को संवेदनाएं व्यक्त करता हूं।
उन्होंने कहा कि शहीदों का जीवन जनता के लिए एक उज्ज्वल उदाहरण है। वे जिहाद के मैदान में दिन-रात, नींद और आराम, परिवार और यहां तक कि अपनी जान तक कुर्बान करते हुए इस्लाम, कुरान, मानवीय मूल्यों, मातृभूमि की सीमाओं और इस्लामी व्यवस्था की रक्षा में सबसे आगे रहे।
जनरल मूसवी ने शहीद जनरल हुसैन सलामी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि वे धार्मिक आस्था, इस्लामी क्रांति की विचारधारा, नहजुल बलाग़ा, कुरान की आयतों और हदीसों की व्याख्या में गहरी समझ रखते थे वे हाफिज़-ए कुरान थे, मधुरभाषी, प्रतिष्ठित और शहीदों के परिवारों व मुजाहिदीन के साथ निरंतर संपर्क में रहते थे।
उन्होंने कहा,सरदार सलामी एक ऐसे नेता थे जो दुश्मन के सामने अडिग थे, लेकिन अपनों के लिए अत्यंत दयालु और मानवतावादी थे। वे कुरान की उस आयत 'अशद्दा अला अलकुफ्फार रुहमा बयनहुम' की जीती-जागती मिसाल थे।
अंत में, जनरल मूसवी ने कहा,शहीद जनरल सलामी सिर्फ इस्लामी क्रांति के कमांडर ही नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए नेतृत्व, नैतिकता और दूरदर्शिता का उज्ज्वल उदाहरण हैं
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