हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, इस्लाम में माँ-बाप का हक़ और उनका सम्मान करने की बहुत अहमियत है। दूसरी तरफ़, मुस्तहब इबादत और मज़हबी प्रोग्रामों में हिस्सा लेना भी बहुत अच्छा काम माना गया है। लेकिन सवाल ये है कि क्या ऐसे नेक और पसंदीदा काम करने के लिए माँ-बाप की मंज़ूरी ज़रूरी है या नहीं?
आयतुल्लाह सय्यद अली हुसैनी सीस्तानी ने माँ-बाप की रज़ामंदी के बिना मुस्तहब इबादतें करने से संबंधित पूछे गए सवाल का जवाब दिया है। जिसे शरई अहकाम मे रूचि रखने वालो के लिए पूछे गए सवाल और उसके जवाब का पाठ प्रस्तुत किया जा रहा है।
* माँ-बाप की इजाज़त के बिना मुस्तहब इबादत करने का हुक्म
सवाल: क्या माँ-बाप की रज़ामंदी मुस्तहब इबादत करने या मज़हबी प्रोग्रामों में हिस्सा लेने के लिए ज़रूरी है?
जवाब: नहीं, माँ-बाप की रज़ामंदी ज़रूरी नहीं है। मगर अगर मुस्तहब इबादत या यह काम करने से माँ-बाप को उनकी मोहब्बत या फ़िक्र की वजह से परेशानी या तकलीफ़ हो, तो फिर वह काम करना जायज़ नहीं है।
स्रोत: आयतुल्लाह सय्यद अली हुसैनी सीस्तानी की वेबसाइट
https://www.sistani.org
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