हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, क़ज़्वीन के इमाम जुमा ने आयोजित मजलिस-ए-अज़ा-ए-हुसैनी को संबोधित करते हुए सभी शोकाकुल लोगों और मजलिस के आयोजकों का आभार व्यक्त किया और कहा, आप जैसे मोमेनीन की शिरकत से ही सय्यदुश शोहदा (अ) की मजलिसों का चराग़ जलता है, और इन्हीं मजलिसों के नूर से दीन-ए-इस्लाम ज़िंदा है।
उन्होंने इमाम ख़ुमैनी (र) के कथन का हवाला देते हुए कहा,यह मुहर्रम और सफ़र ही हैं जिन्होंने इस्लाम को ज़िंदा रखा है। उनके अनुसार, मजलिसों में जो जागरूकता और जोश देखने को मिलता है, वही क़ौम को बेदारी, दृढ़ता और राह-ए-कर्बला पर स्थिर रहने की ताक़त देता है।
हुज्जतुल इस्लाम मुज़फ़्फ़री ने हालिया इज़राइली हमले की ओर इशारा करते हुए कहा,जिस तरह ईरानी राष्ट्र ने सुप्रीम लीडर की क़यादत में दुश्मन के सामने डटकर एकता और इज़्ज़त के साथ खड़े होने की मिसाल पेश की, यह सब कुछ सय्यदुश शोहदा (अ) की मजलिसों की तरबियत का नतीजा है।
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि रिवायतों में आया है कि सय्यदुश शोहदा (अ) के ज़रिए इंसान निजात और सआदत पाता है, और कई शोहदा के बारे में नक़्ल है कि उनकी अच्छी अंतिम गति का राज़ हुसैनी होना था।
क़ज़्वीन के इमाम जुमा ने अंत में दुआ करते हुए कहा,अल्लाह तआला आप सभी को दुनिया और आख़िरत की सआदत अता फ़रमाए, आपके माल, जान और औलाद में बरकत दे और आपको हमेशा साये-ए-अबा अब्दिल्लाहिल हुसैन (अ) में रखे।
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