मंगलवार 22 जुलाई 2025 - 15:18
यहूद इस्लाम के सबसे कट्टर दुश्मन है

हौज़ा / हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन उसतवार मीमंदी ने कहा,यहूदी क़ौम इस्लाम और पैग़म्बर-ए-इस्लाम सल्लल्लाहु अलैहि व आलिहि वसल्लम का सबसे कट्टर दुश्मन है। आज भी दुनिया भर की साज़िशों और फितनों की योजनाएं इसी क़ौम के हाथों अंजाम पा रही हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मुहम्मद उसतवार मीमंदी शीराज़ के तलबा और फुज़ला के नुमाइंदे हैं उन्होंने हज़रत अबा अब्दिल्लाहिल हुसैन (अ.स.) की शहादत के सिलसिले में आयोजित मजलिस में यह बयान दिया यह मजलिस क़ुम में मजमअ-ए-नुमाइंदगान-ए-हौज़ा के दफ्तर में उन उलमा और तलबा की शहादत की याद में रखी गई थी जो हाल ही में इसराईली हमले में शहीद हुए।

उन्होंने इन शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि इन बारह शहीदों में से हर एक इमाम ज़माना अ.ज. के सच्चे सिपाही थे और हौज़ा इल्मिया ने एक बार फिर साबित किया है कि वह इस्लामी इंकलाब की हर पहली सफ में खड़े होते है।

उन्होंने क़ुरआन की इस आयत की तरफ़ इशारा करते हुए कहा,

لَتَجِدَنَّ أَشَدَّ النَّاسِ عَدَاوَةً لِّلَّذِینَ آمَنُوا الْیَهُودَ وَالَّذِینَ أَشْرَکُوا..
(सूरह माएदा, आयत 82)

तुम यक़ीनन पाएंगे कि मोमिनों का सबसे बड़ा दुश्मन यहूदी और मुशरिक हैं...

उन्होंने कहा कि यहूद इस्लाम और पैग़म्बर-ए-इस्लाम स.अ.व.के सबसे ज़्यादा दुश्मन हैं और आज भी दुनियावी साज़िशें और फितनों की तसवीर इसी क़ौम के हाथों बनती है।

फिलिस्तीन का चयन क्यों किया गया?

उन्होंने कहा,दुश्मनों ने फिलिस्तीन को इसलिए चुना है क्योंकि यह इलाक़ा आख़िरी ज़माने के अहम मर्कज़ों में से है वो चाहते हैं कि आख़िरुज़्ज़मानी तहरीकों को अपने कंट्रोल में लें और उसकी साज़िशों का रुख़ तय करें।

क़ुरआन की रौशनी में यहूद की विशेषताएं:

हुज्जतुल इस्लाम मीमंदी ने कहा कि अगर समाज इन ख़ासीयतों से वाकिफ़ हो तो वो किसी जंगी तआमुल में धोखा नहीं खाएगा उन्होंने क़ुरआन के हवाले से यहूद की 5 विशेषताओं का ज़िक्र किया:

1. सबसे कट्टर दुश्मन:

لَتَجِدَنَّ أَشَدَّ النَّاسِ عَدَاوَةً لِّلَّذِینَ آمَنُوا الْیَهُودَ...
(सूरह माएदा, आयत 82)

2. नबियों की हत्या:

وَیَقْتُلُونَ النَّبِیِّینَ بِغَیْرِ الْحَقِّ
(सूरह आले इमरान, आयत 21)

3. ओहद तोड़ना:

فَبِمَا نَقْضِهِم مِّیثَاقَهُمْ لَعَنَّاهُمْ...
(सूरह माएदा, आयत 13)

4. हक़ीक़तों को बदल देना (तहरीफ):

یُحَرِّفُونَ الْکَلِمَ عَن مَّوَاضِعِهِ
(सूरह माएदा, आयत 13)

5. मलऊन और अल्लाह के ग़ज़ब के शिकार:

ذَٰلِکَ بِأَنَّهُمْ کَانُوا یَکْفُرُونَ بِآیَاتِ اللَّهِ... أُوْلَـٰئِکَ الَّذِینَ لَعَنَهُمُ اللَّهُ
(सूरह आले इमरान, आयत 112)

आख़िर में उन्होंने क़ुम के हौज़ा इल्मिया के नुमाइंदगान की वाज़ेह और समय पर जारी होने वाली बयान की सराहना की और उन्हें शुक्रिया किया।

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