शनिवार 2 अगस्त 2025 - 22:55
वर्तमान युग में आत्मनिर्भरता और जन एकता ही सफलता की गारंटी हैः आयतुल्लाह हुसैनी बुशहरी

हौज़ा / क़ुम में जुमआ की नमाज़ में संबोधित करते हुए जामिया मदर्रिसीन के प्रमुख आयतुल्लाह सैयद हाशिम हुसैनी बुशहरी ने कहा कि आज का युग अल्लाह की असीम शक्ति, ईरानी राष्ट्र की दृढ़ता और आंतरिक आत्मनिर्भरता पर भरोसा करने का युग है और यही वास्तविक सफलता का मार्ग है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,क़ुम में जुमआ की नमाज़ में संबोधित करते हुए जामिया मदर्रिसीन के प्रमुख आयतुल्लाह सैयद हाशिम हुसैनी बुशहरी ने कहा कि आज का युग अल्लाह की असीम शक्ति, ईरानी राष्ट्र की दृढ़ता और आंतरिक आत्मनिर्भरता पर भरोसा करने का युग है और यही वास्तविक सफलता का मार्ग है। 

उन्होंने हाल ही में लड़ी गई बारह दिवसीय रक्षात्मक युद्ध का उल्लेख करते हुए कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान ने दुश्मन की उम्मीदों के विपरीत, अपनी सैन्य क्षमता और स्वदेशी मिसाइल व ड्रोन तकनीक के जरिए दुश्मन को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया ईरान की रक्षात्मक शक्ति ने दुश्मन को इतना हैरान कर दिया कि उसे अमेरिका से युद्धविराम की गुहार लगानी पड़ी।

आयतुल्लाह बुशहरी ने इस्लामी क्रांति के रहबर के ताजा बयान का हवाला देते हुए कहा कि इस संदेश में सात मूलभूत बिंदु शामिल थे जिन्हें समाज में जागरूकता के साथ पेश करना उलेमा और ख़ुतबा देने वालों की जिम्मेदारी है। 

उन्होंने आगे कहा कि यदि पिछले वर्षों में केवल वार्ताओं पर निर्भर किया जाता और रहबर ने रक्षात्मक आत्मनिर्भरता की योजना को अपनी निगरानी में नहीं संभाला होता, तो आज हम दुश्मन के सामने बेबस होते वार्ताओं के दौरान ही दुश्मन ने अपनी साजिशों को जारी रखा, इसलिए हमें पूर्ण आत्मनिर्भरता और सूझ-बूझ के साथ आगे बढ़ना होगा। 

आयतुल्लाह बुशहरी ने न्यूयॉर्क टाइम्स के एक लेख का हवाला देते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ईरान की सैन्य शक्ति को मान्यता दी जा रही है, जिसने अमेरिकी रक्षा प्रणाली को नाकाम करके अपनी क्षमता का लोहा मनवाया है। 

उन्होंने इस युद्ध के अन्य महत्वपूर्ण प्रभावों में जन एकता और जागरूकता में वृद्धि को उल्लेखनीय बताया। उनका कहना था कि दुश्मन को उम्मीद थी कि आर्थिक दबाव राष्ट्र को विभाजित कर देगा, लेकिन ईरानी राष्ट्र पहले से अधिक एकजुट होकर मैदान में उतरा। 

इमाम-ए-जुमआ क़ुम ने आगे कहा कि हमारे यहाँ एक समय था जब कुछ लोग केवल वार्ताओं को मुक्ति का एकमात्र रास्ता समझते थे, लेकिन अब सभी पर स्पष्ट हो चुका है कि राष्ट्र केवल बातचीत से नहीं, बल्कि व्यावहारिक शक्ति और प्रतिरोध से अपने अधिकारों की रक्षा करते हैं। 

उन्होंने ख़ुत्बा ए अव्वल में तक़्वा सब्र और नुसरत-ए-इलाही की अवधारणाओं पर चर्चा करते हुए कहा,अल्लाह उन लोगों की मदद करता है जो उसके दीन की सहायता करते हैं, अत्याचार के सामने डटे रहते हैं और ईमानदारी से काम करते हैं।

आयतुल्लाह हुसैनी बुशहरी ने अर्बईन-ए-हुसैनी को राष्ट्र के लिए आध्यात्मिक पूंजी बताते हुए ज़ायरीन, इराकी अधिकारियों और संस्थानों का आभार व्यक्त किया जिन्होंने इस यात्रा को संभव बनाया।

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