बुधवार 13 अगस्त 2025 - 06:37
इस्लामी व्यवस्था को बचाए रखने का प्रयास इबादत है

हौज़ा / हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा मकारिम शिराज़ी ने इस्लामी प्रचार समन्वय परिषद की गतिविधियों की सराहना करते हुए कहा: इस परिषद के कार्यक्रम इस्लामी गणराज्य के लिए बहुत जरूरी हैं और निस्संदेह यह बड़ा काम इबादत माना जाता है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार,  इस्लामी प्रचार समन्वय परिषद के अध्यक्षह और वली फ़क़ीह के प्रतिनिधि हुज्जतुल इस्लाम मूसा पुर ने अपने सहायक और इस संस्था के प्रबंधको के साथ क़ुम मे आयतुल्लाहिल उज़्मा मकारिम शिराज़ी से मुलाकात कर बातचीत की।

आयतुल्लाह मकारिम शिराज़ी ने इस मुलाकात मे इस्लामी प्रचार समन्वय परिषद की गतिविधियों की सराहना करते हुए कहा: इस परिषद के कार्यक्रम बहुत फायदेमंद हैं और इस्लामी गणराज्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इनके कार्यों के प्रभाव और बरकत साफ़ दिखाई देती हैं और निस्संदेह यह बड़ा काम इबादत माना जाता है और यह शासन प्रणाली के संरक्षण में गहरा असर रखता है।

उन्होंने कहा कि इस्लामी प्रचार समन्वय परिषद दुश्मनों के शांत युद्ध की साजिशों को नाकाम करती है। उन्होंने कहा कि आप लोगों ने जन-सहयोग की क्षमताओं का सर्वोत्तम उपयोग किया है और यह समझना चाहिए कि लड़ाई केवल हथियारों से नहीं होती; कभी-कभी जो कार्यक्रम आप लोग संचालित करते हैं, वे किसी भी हथियार से ज्यादा प्रभावी और ताकतवर होते हैं। हम दुआ करते हैं कि आप पर अल्लाह की रहमत बनी रहे।

बैठक के आरम्भ मे अरबईन हुसैनी के दिनो पर ग़म का इज़्हार करते हुए हुज्जतुल इस्लाम मूसापूर ने इस्लामी प्रचार समन्वय परिषद के मिशन, भूमिका और कार्यों की रिपोर्ट दी। उन्होंने कहा: "राष्ट्रव्यापी, क्रांतिकारी और धार्मिक अवसरों और अय्यामुल्लाह के आयोजन की योजना बनाना, नीति निर्धारण, मार्गदर्शन और नेतृत्व इस परिषद का जन्मजात कार्य है। ये कार्यक्रम पूरे देश में लोगों की भागीदारी और संगठन के साथ इस परिषद द्वारा आयोजित किए जाते हैं।"

उन्होंने देश के समकालीन इतिहास के महत्वपूर्ण क्षणों में परिषद की प्रभावी भूमिका की ओर इशारा किया और कहा कि 78, 88, 98, 1401 (ईरानी कैलेंडर के वर्ष), और 12 दिवसीय युद्ध के दौरान परिषद की समय पर मौजूदगी ने दुश्मनों की साजिशों को विफल करने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में इस संस्था ने एक परिवर्तनकारी और नई दृष्टिकोण के साथ अपने कार्यक्रमों की सीमा और गुणवत्ता दोनों बढ़ाई हैं।

अपनी इस क़ुम यात्रा मे वली फ़क़ीह के प्रतिनिध आयतुल्लाह हुसैनी बुशहरी, आयतुल्लाह आराफ़ी, फ़ाज़िल लंकरानी, हुज्जतुल इस्लाम शहरिस्तानी सहित दूसरे उलेमा से भी मुलाक़ात करेगें।

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