हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन हबीबुल्लाह फरहजाद ने बेसत के अवरस पर हजरत मासूमा ए क़ुम (स.अ.) मे अपने संबोधिन मे कहा कि रिवायत के अनुसार, पुनरुत्थान के दिन हजरत रसूल (स.अ.व.व.) के सबसे पास ऐसे लोग होंगे जो दुनिया में सलावत पढ़ते थे और सलावत में विशेष रुचि रखते थे।
उन्होंने आगे कहा कि बेसत के दिन ब्रह्मांड की सबसे बड़ी अभिव्यक्ति ईश्वर द्वारा मनुष्यों को भेजी और पेश की गई है और इस्लाम के पैगंबर का पवित्र अस्तित्व ब्रह्मांड में ईश्वर की सबसे बड़ी अभिव्यक्ति है और एक महान कृति है।
दरगाह के वक्ता ने बताया कि ईश्वर की महानता दिखाने वाले सभी गुण इस्लाम के पैगंबर के व्यक्ति में प्रकट होते हैं, क्योंकि वह स्वर्ग और पृथ्वी के बीच की कड़ी है और मध्यस्थ और ईश्वर के चुने हुए सेवक हैं।
हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन फरहजाद ने जोर देकर कहा कि ईश्वर ने इस्लाम के पैगंबर (स.अ.व.व.) के पवित्र मार्ग पर ब्रह्मांड में एकेश्वरवाद का बैनर लगाया है।
उन्होंने आगे कहा कि इस्लाम के पैगंबर (स.अ.व.व.) ने किसी स्कूल में शिक्षा नहीं ली है और किसी के सामने घुटने टेककर साहित्य नहीं रखा है लेकिन उन्होंने ब्रह्मांड में आध्यात्मिक प्रभाव और शक्ति पैदा की है और अरबों लोगों को उनका अनुसरण करने के लिए मजबूर किया है। क्या यह पैगंबर की दिव्य शक्ति के कारण है।
मदरसे के शिक्षक ने कहा कि पुनरुत्थान के दिन मध्यस्थता इस्लाम के महान पैगंबर के लिए आरक्षित है और इस्लाम के पैगंबर की गणना सभी नबियों से अलग है।
ज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन हबीबुल्लाह फरहजाद जोर देकर कहा कि बेसत ग़दीर का अग्रदूत (पेशखै़मा) है और ग़दीर ज़हूर का अग्रदूत (पेशखै़मा) है और इस्लाम के पैगंबर को ब्रह्मांड में तौहीद, अख़लाक़ और विलायत फैलाने के लिए भेजा गया है।