हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, आयतुल्लाह जवादी आमोली ने "नैतिकता नामक कीमिया" विषय पर अपने व्याख्यान में कहा कि समाज की नींव ज्ञान पर नहीं, बल्कि नैतिकता पर आधारित है। पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ज्ञान में अद्वितीय थे, लेकिन उनके उच्च नैतिक मूल्यों के कारण ही कुरान ने उनकी प्रशंसा "और निस्संदेह, आपका चरित्र महान है" शब्दों के माध्यम से की है।
उन्होंने कहा कि ज्ञान अपने आप में महत्वपूर्ण है, लेकिन जब तक उसके साथ नैतिकता न हो, उसका प्रभाव सीमित होता है। यदि कोई व्यक्ति विद्वान या शोधकर्ता भी बन जाए, तो उसके ज्ञान से केवल कुछ ही छात्र लाभान्वित होंगे, लेकिन उसकी नैतिकता से पूरा राष्ट्र लाभान्वित हो सकता है।
आयतुल्लाह जवादी आमोली ने आगे कहा कि लोग पवित्र पैगंबर (स) के ज्ञान से अनभिज्ञ थे, लेकिन उनकी नैतिकता और चरित्र ने सभी का दिल जीत लिया। इसीलिए कुरान ने नैतिकता को नबूवत की सफलता का रहस्य घोषित किया है।
उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि एक सच्चा विद्वान वह है जो अपनी अच्छी नैतिकता के माध्यम से बिना मुँह खोले लोगों को सत्य की ओर आमंत्रित करता है। अगर हम इस कथन पर अमल करें, "बिना ज़ुबान के लोगों के लिए सिफ़ारिश करो," तो हम समाज, व्यवस्था और राष्ट्र के सुधार और संरक्षण का माध्यम बन सकते हैं।
(दर्स ख़ारिज फ़िक़्ह, बहस निकाह, सत्र 29; दिनांक: 25 आज़र 1394 शम्सी)
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