मंगलवार 28 अक्तूबर 2025 - 14:02
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के शोअबा ए दीनियात के प्रोफ़ेसर हुज्जतुल इस्लाम मौलाना डॉ. सय्यद मुहम्मद असग़र फ़ैज़ी वाइज का निधन

हौज़ा / इंतहाई रंज व ग़म के साथ यह खबर वहशतअसर तौर पर मिली कि हुज्‍जतुल इस्लाम मौलाना डॉक्टर सय्यद मुहम्मद असग़र फ़ैज़ी, प्रोफ़ेसर, शोअ्बा-ए-दीनियात, शिया मुस्लिम यूनिवर्सिटी अलीगढ़, आज सुबह 10 बजे अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान हार्ट अटैक से इन्तेक़ाल कर गए। इन्ना लिल्लाहे वा इन्ना इलैहे राजेऊन।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, इंतहाई दुख और अफ़सोस के साथ यह खबर मिली कि मौलाना डॉक्टर सैयद मुहम्मद असग़र फ़ैज़ी आज सुबह 10 बजे दिन के वक़्त अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान दिल का दौरा पड़ने से वफ़ात पा गए। इन्ना लिल्लाहे वा इन्ना इलैहे राजेऊन।

मौलाना मरहूम अरसे से शुगर के मरीज़ थे, लेकिन एक हफ़्ता पहले तबीयत ज़्यादा ख़राब होने पर उन्हें मेडिकल कॉलेज अलीगढ़ में दाख़िल कराया गया। वहीं इलाज के दौरान हार्ट अटैक होने की वजह से जानबर न हो सके और ख़ालिके हक़ीकी से जा मिले।

मरहूम के रिश्तेदार उनकी मय्यत को लेकर अलीगढ़ से उनके आबाई वतन “मौज़ा दरौन” ज़िला अम्बेडकर नगर के लिए रवाना हो गए हैं। तदफ़ीन इंशाअल्लाह उनके आबाई क़ब्रिस्तान “दरौन अम्बेडकर नगर” में अंजाम दी जाएगी।

जीवन परिचय

हज्‍जतुल इस्लाम जनाब मौलाना सैयद मुहम्मद असग़र फ़ैज़ी वाइज़

पूरा नाम: सैयद मुहम्मद असग़र
पैदाइश की तारीख़: 10 जनवरी 1965 ई.
जगह पैदाइश: मौज़ा दरौन, पोस्ट ऑफ़िस खैमापुर, फ़ैज़ाबाद
शहरियत: फ़ैज़ाबाद (भारत)
वालिद का नाम व नसब: सैयद तफज़्ज़ुल हुसैन मरहूम बिन सैयद हाफ़िज़ अली
वालिदा का नाम व नसब: सैयदा शिरीन बीबी बिन्त सैयद अल्ताफ़ हुसैन
ज़ौजा का नाम व नसब: सैयदा अली बानो बिन्त सैयद मुजतबा हुसैन
मुक़ीम पता: धूरा, अलीगढ़

तालीम और ताल्लुक़ात

इब्तिदाई तालीम और तालीमी मराकज़: वसीका अरबी कॉलेज, फ़ैज़ाबाद
असनाद-ए-तालीम: मौलवी, मुनशी, कामिल, फाज़िल अदब, सिन्दुल अफ़ाज़िल, सदरुल अफ़ाज़िल, वाएज़, इज्तेहाद ब-ईरान, एम.फिल, पी.एच.डी.

सामाजिक कारकर्दगी

मजलिसों में शुमारियत, निकाह पढ़ाने और अन्य दीनवी व समाजी उमूर में सक्रिय हिस्सेदारी।

आलीजनाब मौलाना डॉक्टर सैयद मुहम्मद असगर फ़ैज़ी साहिब क़िबला वाएज़, सरबराह शिआ दीनियात शुअबा, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, अलीगढ़ — मूल रूप से गाँव दरौन, ज़िला फ़ैज़ाबाद (अब अम्बेडकर नगर) के निवासी हैं।
उन्होंने वसीका अरबी कॉलेज, फ़ैज़ाबाद में तालीम हासिल की। मदरसा-ए-लुआइज़ीन लखनऊ में भी तालीब-ए-इल्म रहे। जामिया सुल्तानिया लखनऊ से "सदरुल अफ़ाज़िल" की सनद हासिल की और मदरसा-ए-लुआइज़ीन लखनऊ से "वाएज़" की डिग्री ली। उसके बाद एक अरसे तक "हौज़ा-ए-इल्मिया, क़ुम" (ईरान) में तालीम हासिल की। फिर वापस हिन्दुस्तान आकर शिआ दीनियात डिपार्टमेंट, मुस्लिम यूनिवर्सिटी अलीगढ़ में बतौर "लेक्चरर" सेवाएं अंजाम दीं।

वे अच्छे ख़तीब (वक्तृत्वकार), साहिब-ए-क़लम और साहिब-ए-तस्नीफ (लेखक) थे। तबलीगी उमूर (धार्मिक प्रचार-कार्य) में बेहद जोश और जज़्बा रखते थे। अप्रैल से दिसंबर 1986 तक “मुआविन मुदीर-ए-इस्लाह” (सहायक संपादक, माहनामा इस्लाह लखनऊ) रहे।
 

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